The Tiger's nest hiking trail is the test of one’s determination and endurance. Though exhausting, it’s not unmanageable to complete that.
On the previous day, our guide explained the difficulties which one would face while going to the Taktsang and was suggesting an alternate spot. However, even after having heard about the challenges, we insisted on visiting the place as planned.
Nevertheless, the leader provided some valuable tips to make the walk more comfortable. These were: Do not overexert. Your pace should be slow enough to avoid breathlessness. Once you start panting, reduce that further. Do not take any rest in the middle. Once you stop, the determination will be lost. When any horse rider approaches, move inside and stay standstill till the cavalry passes. Do not use any shortcut. Follow the established path. Purchase two walking sticks. That helps to prevent slide on a slippery portion.
All the advice proved to be extremely useful.
We reached near the stairs after a long walk. Here again, once you start going down, that becomes a point of no return. That feeling overwhelmed after coming back from a visit to the monastery. However, the excellent weather and the magnificent view of the valley provided immense sustenance...
Read moreभूटान भारत का वो पडोसी देश हैं जहाँ के बारे मे प्रचलित हैं कि खुशहाली इस देश मे सफलता का एक प्रमुख मापदंड हैं। यहाँ बर्फीले पहाड़ से लेकर ,शांत बौद्ध मठ ,घने जंगल ,हरे भरे मैदान,शुद्ध हवाएं और खुश एवं शांतिप्रिय नागरिक आपके दिमाग को एकदम शांत और तरोताजा कर देंगे। 1999 तक तो यहाँ के लोग टीवी एवं इंटरनेट से ही दूर रहे। आपको जानकर आश्चर्य होगा यह विश्व का एकमात्र देश हैं जो कार्बन डाय ऑक्साइड का अवशोषण ,इसके उत्पादन से ज्यादा करता हैं। खैर ,भूटान के बारे मे तो लिखने को काफी कुछ हैं। लेकिन आज हम चलते हैं भूटान के 'पारो' शहर के ऐसे विश्वप्रसिद्ध बौद्ध मठ की सैर पर ,जो दूर से ऐसा लगता हैं जैसे की घने जंगल और पहाड़ों के बीच उस पर टंगा हुआ हैं ,जैसे की पेड़ों पर घोसलें । भूटान जाने वाला हर पर्यटक ये सपना तो लेके जाता ही हैं कि वो एक बार ट्रेक करके इस मठ तक पहुंच कर दर्शन कर आये।
इस मठ को तक्तसांग मठ /Taktsang Monastery भी कहा जाता है।'पारो' शहर से इस मठ के अंतिम वाहन योग्य रोड की दुरी करीब 10 किमी हैं इसके बाद यहाँ करीब 10 -11 किमी का राउंड पहाड़ी ट्रेक करके ही मठ पर जाकर वापस आया जा सकता हैं।वैसे ये पैदल ट्रेक ज्यादा खतरनाक तो नहीं हैं ,परन्तु ,जैसा कि मैं तेज बारिश के समय इस ट्रेक पर गया था ,तो कह सकता हूँ कि बारिश के दिनों मे यह ट्रेक इतना जोखिम भरा हो जाता हैं कि कई लोग बीच रास्ते से ही वापिस लौट जाते हैं। जहाँ वाहनों का अंतिम पॉइंट अथवा पार्किंग हैं वही से इसका टिकट खरीद कर आपको मठ तक ट्रेक करके जाना होता हैं।
तो चलो ट्रेक पर आगे बढ़ते हैं। टिकट काउंटर के बाद ट्रेक शुरू करने के लिए सीधा आप एक छोटे से बाजार से होके पहाड़ों की ओर बढ़ते हैं। यह बाज़ार करीब 200 से 300 मीटर तक फैला हैं जहाँ से आप ट्रैकिंग के लिए छड़ी खरीद सकते हैं तथा कुछ यादगार सामान और ज्वेलरी आप ले सकते हैं।यहाँ कोई दुकाने नहीं हैं बल्कि 200 300 मीटर लम्बे छज्जे के नीचे दोनों ओर ये लोग अपने सामन खुले मे बेचते हैं। जैसे ही यहाँ से आप पहाड़ों की ओर बढ़ते हैं ,आपके सामने एक छोटा सी बौद्ध मठ जैसी ईमारत मिलेगी जिसमे बौद्ध प्रार्थना चक्र घूमते रहते हैं। इस से आगे आपका चढ़ाई वाला क्षेत्र चालु हो जाता हैं। आप पाएंगे जगह जगह ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर हर तरफ रंग बिरंगे बौद्ध प्रार्थना ध्वज बंधे हुए होंगे। पहाड़ो पर कोई रास्ते बने हुए नहीं हैं ,आपको बस टूटी फूटी पगडंडियों से चढ़ते जाना हैं। कही कही आप शॉर्टकट देख के चट्टानों से भी जा सकते हैं हालाँकि ये खतरनाक होता हैं और ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ एकाध किलोमीटर बाद आपको पूरी पारो घाटी दिखाई देने लगेगी। आप पाएंगे की कुछ जगहों पर यह ट्रेक काफी चुनौतीपूर्ण होता हैं एवं कई लोगों के हाथ पैर जवाब देने लग जाते हैं और वो बीच रास्ते ही वापस लौट आते हैं। वैसे आप चाहे तो वहा खच्चर पर बैठ कर भी जा सकते हैं ,उसका किराया वही आप भूटानी या भारतीय दोनों मुद्रा में कर सकते है।
तेज बारिश के समय यह ट्रेक काफी खतरनाक हो जाता हैं। क्योकि पानी ऊपर से बहता हुआ पगडंडियों पर से गुजरने लग जाता हैं। ढलान और चढ़ाई जहा थोड़ी जयादा होती हैं वहा लोग फिसल कर गिर भी जाते हैं और कई जगह ऐसे ही रास्ते होने से लोग कई जगह गिरते हैं। ऊपर से यहां की मिटटी भी चिकनी मिलती हैं ,जगह जगह रास्तों पर बड़े बड़े गड्ढे पानी से भर जाते हैं तो लोग कभी उनमे गिर जाते हैं। कई जगह काफी सारा पानी भर जाने से चट्टानों और पहाड़ो पर चढ़ कर ही निकलना पड़ता हैं।खैर ,ये तो हुई बारिश की बात।आगे बढ़ते है -
कुछ 2 -3 किमी बाद ही आपको तक्तसांग मठ काफी दूर से दिखाई देने लग जायेगा और इसे देखकर ही आपकी सारी थकान दूर हो जायेगी।जो डर और थकान के कारण ट्रेक को अधूरा करने की सोचते हैं ,अगर वो इस पॉइंट तक भी पहुंच जाए तो फिर उनका आत्मविश्वास भी बढ़ जाता हैं। क्योकि इस मठ की असल खूबसूरती दूर से ही नजर आती हैं ,आस पास बहते झरने ,पहाड़ और खाई के बीच लटकता सा यह सफ़ेद और लाल रंग का मठ आपकी आँखे उसपर से हटने ना देगा। वैसे इस ट्रेक पर रास्ते मे कोई दूकान ,टॉयलेट्स ,कैफ़े वगैरह नहीं हैं लेकिन मठ पहुंचने से करीब डेढ़ किलोमीटर पहले ही एक खूबसूरत कैफेटेरिया आपको मिलेगा। जहाँ आप उचित रेट मे चाय ,नाश्ता ,खाना ले सकते हैं। अंदर बैठ कर और बाहर हरियाली मे बैठकर दोनों तरह से आप यहाँ कुछ भी खाने पीने का आनंद ले सकते हैं। यहाँ से आप मठ के काफी खूबसूरत फोटो ले सकते हैं। मठ दूर से ऐसा दीखता हैं जैसे कि यहाँ तक पहुंचने के लिए उड़ के...
Read moreJust to add some perspective about the difficulty of this trail which has been emphasized a lot in previous reviews. Im moderately fit, in my mid-40s. It took me 1 hour of net walking time to reach the monastery from the car park. Including breaks to take in the scenery, it took less than 90 minutes. Its around 550 meters of elevation over a distance of 3 kilometers. Sure, if you are unfit or elderly or injured, it will take a lot longer, but it`s decidedly not an Olympic feat to make it up there.
When I walked up, the trail was muddy in parts. I saw many people walking in socks and sandals (crazy), and others walking with heavy hiking boots and big backpacks (unnecessary). Its not a walk in the park but its not a serious trek for which you need lots of equipment either. It`s just a lot of steps and potentially some muddy parts along the way.
After the visit to the Tigers Nest, theres another temple another 150m above that affords incredible views over the valleys below, as well as a "top down" perspective of Tiger`s Nest. Well recommended, but the path is steeper and narrow...
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