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Turri Dham — Attraction in Chhattisgarh

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Turri Dham
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Turri Dham
IndiaChhattisgarhTurri Dham

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Turri Dham

3V87+PV3, Champa Rd, Turi, Baseen, Chhattisgarh 495668, India
4.5(396)
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Gulshan kumar SahuGulshan kumar Sahu
तूर्री धाम ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले(As Per Data) पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है। इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया। महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है। दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे। हर हर महादेव जय छत्तीसगढ़ जय हिंद लेखन - गुलशन कुमार साहू
Niranjan RathoreNiranjan Rathore
तूर्री धाम ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है। इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया। महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है। दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे। हर हर महादेव,, 💐💐श्री शिवाय नमस्तुभ्यं💐💐
Shatruhan KashyapShatruhan Kashyap
जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तुर्री स्थित है। यहां भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जहां पहाड़ का सीना चीर अनवरत जलधारा बहती रहती है। खास बात यह है कि यह जलधारा कहां से बह रही है, अब तक पता नहीं चल सका है। आज भी यह शोध का विषय बना हुआ है कि आखिर पहाड़ी क्षेत्रों से पानी का ऐसा स्त्रोत कहां से है, जहां हर समय पानी की धार बहती रहती है। दिलचस्प बात यह है कि बरसात में जलधारा का बहाव कम हो जाता है, वहीं गर्मी में जब हर कहीं सूखे की मार होती है, उस दौरान जलधारा में पानी का बहाव बढ़ जाता है। इसके अलावा जलधारा के पानी की खासियत यह भी है कि यह जल बरसों तक खराब नहीं होता। यहां के रहवासियों की मानें तो 100 साल बाद भी जल दूषित नहीं होता। यही कारण है कि तुर्रीधाम के इस जल को ‘गंगाजल’ के समान पवित्र माना जाता है और जल को लोग अपने घर ले जाने के लिए लालायित रहते हैं। एक बात और महत्वपूर्ण है कि शिव मंदिरों में जब भक्त दर्शन करने जाते हैं तो वहां भगवान शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, मगर यहां कुछ अलग ही है। जलधारा के पवित्र जल को घर ले जाने श्रद्धालुओं में जद्दोजहद मची रहती है तथा वे कोई न कोई ऐसी सामग्री लेकर पहुचंते हैं, जिसमें जल भरकर ले जाया जा सके। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण तुर्रीधाम में दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, झारखंड, उड़ीसा तथा बिहार समेत अन्य राज्यों से भी दर्शनार्थी आते हैं और यहां के मनोरम दृश्य देखकर हतप्रद रह जाते हैं। यहां की अनवरत बहती ‘जलधारा’ सहसा ही किसी को आकर्षित कर लेती हैं। साथ ही लोगों के मन में समाए बगैर नहीं रहता और जो भी एक बार तुर्रीधाम पहुंचता है, वह यहां दोबारा आना चाहता है।
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तूर्री धाम ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले(As Per Data) पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है। इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया। महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है। दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे। हर हर महादेव जय छत्तीसगढ़ जय हिंद लेखन - गुलशन कुमार साहू
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तूर्री धाम ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है। इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया। महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है। दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे। हर हर महादेव,, 💐💐श्री शिवाय नमस्तुभ्यं💐💐
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जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तुर्री स्थित है। यहां भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जहां पहाड़ का सीना चीर अनवरत जलधारा बहती रहती है। खास बात यह है कि यह जलधारा कहां से बह रही है, अब तक पता नहीं चल सका है। आज भी यह शोध का विषय बना हुआ है कि आखिर पहाड़ी क्षेत्रों से पानी का ऐसा स्त्रोत कहां से है, जहां हर समय पानी की धार बहती रहती है। दिलचस्प बात यह है कि बरसात में जलधारा का बहाव कम हो जाता है, वहीं गर्मी में जब हर कहीं सूखे की मार होती है, उस दौरान जलधारा में पानी का बहाव बढ़ जाता है। इसके अलावा जलधारा के पानी की खासियत यह भी है कि यह जल बरसों तक खराब नहीं होता। यहां के रहवासियों की मानें तो 100 साल बाद भी जल दूषित नहीं होता। यही कारण है कि तुर्रीधाम के इस जल को ‘गंगाजल’ के समान पवित्र माना जाता है और जल को लोग अपने घर ले जाने के लिए लालायित रहते हैं। एक बात और महत्वपूर्ण है कि शिव मंदिरों में जब भक्त दर्शन करने जाते हैं तो वहां भगवान शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, मगर यहां कुछ अलग ही है। जलधारा के पवित्र जल को घर ले जाने श्रद्धालुओं में जद्दोजहद मची रहती है तथा वे कोई न कोई ऐसी सामग्री लेकर पहुचंते हैं, जिसमें जल भरकर ले जाया जा सके। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण तुर्रीधाम में दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, झारखंड, उड़ीसा तथा बिहार समेत अन्य राज्यों से भी दर्शनार्थी आते हैं और यहां के मनोरम दृश्य देखकर हतप्रद रह जाते हैं। यहां की अनवरत बहती ‘जलधारा’ सहसा ही किसी को आकर्षित कर लेती हैं। साथ ही लोगों के मन में समाए बगैर नहीं रहता और जो भी एक बार तुर्रीधाम पहुंचता है, वह यहां दोबारा आना चाहता है।
Shatruhan Kashyap

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Reviews of Turri Dham

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Turri Dham is a Hindu temple mainly dedicated to Lord Shiva where the Shiv Ling is worship by the devotees. The Turri Dham also have temple dedicated to Goddess Durga and Lord Rama Lakshmana and Maa Sita. The devotees are flooded here during the time of Shravan Month and mainly on Shravan Somwar (Monday's in month of Shravan) to offer holy water. The devotees also flooded here at the time of Navratri because of Goddess Durga temple here. Turri Dham this place falls on the main road and connected well by means of road ways. The devotees can also take the deep in the river just in front of the temple. The view from the Goddess Durga temple which is at the hill top gives pleasant and beautiful experience to the devotees and travellers.The shops here are available with the offerings items and at reasonable price. There also shops for fast food and others. Vehicles parking facility is also available here and may charge you during the festival season in off season it is...

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तूर्री धाम

ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले(As Per Data) पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है।

इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया।

महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है।

दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे।

हर हर महादेव

जय छत्तीसगढ़ जय हिंद

लेखन - Ved Prakash Singh...

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तूर्री धाम ऐसा मंदिर जहां स्वयं प्रकृति माँ करती हैं शिव जी का जल अभिषेक दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं, चांपा जांजगीर जिले(As Per Data) पर स्थित प्रसिद्ध तूर्री धाम के बारे में, यह पवित्र स्थल शिव भक्तों मे बहुत प्रचलित है, यहां सावन में भव्य मेला भी लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु आते है शिव जी के दर्शन के लिए, यह मंदिर करवाल जलधारा के बगल में स्थित है, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है। इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है। वर्तमान में यह मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है।

इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है। यह शिवालय पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है। गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है। इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते है। इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी एवं ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है। और यह अनवरत शिव लिंग पर जल अभिषेक करता रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है। इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है,वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख दक्षिण की ओर मुख किए करवाल जलधारा के घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बना दिया गया।

महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ माघ मास में 15 दिनों के मेले का आयोजन धूमधाम से होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी लोग पहुंचते है।

दोस्तों आप सभी से निवेदन है कि, इस विख्यात मंदिर की साफ सफाई बनाए रखे, और जलधारा पर कचरा फेंकने से बचे।

हर हर महादेव

जय छत्तीसगढ़ जय हिंद

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