30 दिसंबर 1803 को अंग्रेजों और मराठाओं की सुरजी और अंजेगांव में एक संधि हुई। इसके अनुसार झज्जर का सारा इलाका अंग्रेजों के कब्जे में आ गया, लेकिन वे इतने बड़े क्षेत्र पर राज नहीं करना चाहते थे। इसके लिए राजाओं, नवाबों और सामंतों में बांट दिया, जिन्होंने उनका साथ दिया था।
बार्लो ने निजाबत को सौंपी रियासत
भारत के गवर्नर जीएच बार्लो ने चार मई 1806 में एक फरमान जारी कर झज्जर को पूर्ण रियासत घोषित करते हुए इसे नवाब निजाबत अली खान को सशर्त सौंप दिया। झज्जर के पहले नवाब के दादा मुस्तफा खान हिंदुस्तान में मुहम्मद शाह के शासन में आया था। उसने बंगाल के गवर्नर अलावर्दी खान के यहा नौकरी की।
गवर्नर बनने की चाह में मारा गया
नवाब निजाबत अली खान को बहादुरी के बल पर नवाब का खिताब मिला। इसके बाद वह बिहार का गवर्नर बनना चाहता था। इसके कारण सुल्तान से अलग हो गया और बिहार पर कब्जा करने के प्रयास में मारा गया। उसके शव को हाथी के पैरों से बांधकर शहर में घुमाया गया। इसके बाद मुस्तफा खान के बेटे मुर्तजा खान से कमान संभाली, लेकिन वह जयपुर की लड़ाई में मारा गया। उसके बेटे निजाबत अली खान ने राज किया। उसने अपनी बहादुरी से वास्तव में झज्जर में नवाबी राज लाया। इससे खुश होकर अंग्रेजों ने झज्जर को पूर्ण रूपेण जागीर का दर्जा दे दिया।
सबसे अच्छा शासक रहा अब्दुर्रहमान
फैज मुहम्मद ने अपने पिता की मौत के बाद ने शासन किया। इस बीच 1815 से 1838 तक अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को काट-छांटकर चार अस्थाई बंदोबस्त कर दिया। झज्जर के अंतिम शासक अब्दुर्रहमान ने 1845 से 1857 तक राज किया। इसकी सबसे अच्छे नवाबों में गिनती होती है।
दगा न होता तो झज्जर होता राजधानी
जिक्र होता है कि यहां के सबसे ताकतवर शासक जार्ज थामस को प्यार में धोखा मिला था बेगम सामरू से। उस शासक ने अपने को इतना मजबूत कर लिया था कि मराठों, मुगलों की तो दूर की बात अंग्रेजों को भी मात देने में देर नहीं लगती थी। उसके सामने कोई टिक नहीं पाता था। झज्जर में उसने ही पहली बार सैनिक टुकड़ी गठित की थी। जार्ज थामस आयरलैंड से आया था। वह दक्षिण भारत के पहाड़ी इलाकों में लुटेरों और डाकुओं के समूह में नौकरी करता था। इसके बाद वह 1781 में भारत में ही ब्रिटिश नेवी में तोपची के रूप में कार्य करने लगा। बाद में सरधना की जागीरदार बेगम सामरू के यहां पर नौकरी करने लगा। वह बहुत ही तेजतर्रार, सुंदर और अनूठी प्रतिभा का धनी था। इसी से प्रभावित होकर बेगम भी उसकी दीवानी हो गई। दोनों में प्रेम भी हो गया, मगर बेगम ने एक फ्रेंच ली-वसाल्ट से शादी करने के लिए अपनी गोद ली हुई बेटी का विवाह थामस से करा दिया। इस रवैये से वह नाराज हो गया और उसका दिल टूट गया। प्रेम में इस दगाबाजी के बाद थामस बेगम को छोड़ मेरठ में वहां के गवर्नर अप्पा काडी राव की मदद से मराठाओं की फौज में भर्ती हो गया। उसने यूरोपियन ढंग से ड्रिल यानि परेड शुरू करवा दिया। उसने अपने सेना लगाता विजय दिलाई। इसके बाद गवर्नर ने उसे गोद ले लिया। इसके बाद उसे झज्जर जिले की जागीर मिल गई। उसने इसी को अपना मुख्यालय बना लिया। उसे लोग 'जहाजी साहब' करने लगे। उसने हुसेनगंज में एक जार्जगढ़ नाम के किले का निर्माण कराया, जिसे अब जहाजगढ़ कहा जाता है। थामस ने अपना दायरा बढ़ाते हुए महम, पानीपत, सोनीपत, करनाल और हांसी के 800 गांवों में अधिपत्य जमा लिया। हांसी पर कब्जा जमाने के बाद इस क्षेत्र को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया। धीरे-धीरे उसने हिसार, सिरसा, रोहतक, पटियाला, कैथल, जींद, लाडवा और थानेसर पर कब्जा जमा लिया। उसका विजय अभियान यही नहीं रूका, उसने हरियाणा और पंजाब को जीतकर उत्तरी भारत का सम्राट बनने का मंसूबा बना लिया एक बार फिर से बेगम सामरू ने उससे राज वापस लेने की कोशिश की, लेकिन अपनी सेनाओं की ताकत से जार्ज ने जमुना के पूर्व तक ही समेट दिया। इसके बाद उसने बेगम के अलावा सिखों ओर मराठाओं को डरा-धमकाकर अपनी धाक दिखा दी। अपना विजय अभियान जारी रखते हुए बीकानेर, जयपुर, उदयपुर पर भी आक्रमण किय। इस खूंखार शासक से सारे शासक कांपने लगे। फिर गुड़गांव के गांवों को लूटना शुरू किया। बेगम सामरू के दो गांवों को भी लूट लिया। 1797 में अप्पा कांडी राव की मौत के बाद उसके भतीजे ने थामस पर हमला कर दिया, लेकिन उसका कुछ नहीं बिगड़ा। जार्ज थामस की योजना झज्जर को एक नया स्वतंत्र दरबार बनाने की थी। उसने छुछकवास में एक टकसाल भी बनाई थी, जिसमें सिक्के ढाले जाते थे। उसकी धाक से सिंधिया सरदारों व सिखों को जलन होने लगी। गवर्नर जनरल एम पैरो ने 1801 में थामस पर आक्रमण करने का हुक्म दे दिया। घमासान युद्ध हुआ। यहां पर भी उसने विजय हासिल की। लेकिन एक जनवरी...
Read moreThis is historical place situated in small district of Haryana state, named Jhajjar. Place is quite nice. The Aamir Khan starer Movie Mangal Pandey was shoot here. Public was crazy about to see Aamir Khan in jhajjar. Mostly local peoples visited this place which are going to the college and polytechnic wich are near from the tombs on the same road. This is a good picnic place for students of the college. Place is quite peaceful due to lack of public. This place is safe for tourists and not too much costly things around its due to small town. In last this place is good for those people's which loves to see historical places. This place's silence is describing that no wealth can useful for a king or a man...
Read moreIn historical city jhajjar, these tombs are situted in delhi gate area, Delhi road jhajjar. These tombs called QLALO KE MUQBRE.There are many tombs but some of them are damages because they are very old.These are made are on Mugal shally type.A very good palace to visit for history lover.Bollywood movies MANGAL PANDE (actor Aamir khan) shooting is also done here. Shaheedi park is also situated...
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