जोधपुर का प्रगट संतोषी माता मंदिर, जिसे लाल सागर संतोषी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर जोधपुर शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को भारत के सभी संतोषी माता मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण और वास्तविक माना जाता है। इतिहास प्रगट संतोषी माता मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ माता संतोषी स्वयं प्रकट हुई थीं, इसलिए इसे 'प्रगट' मंदिर कहा जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, एक बार कुछ महिलाएं जंगल में लकड़ी बीनने गई थीं, जहाँ उन्हें एक दिव्य प्रकाश दिखाई दिया। उस प्रकाश के पास जाने पर उन्हें संतोषी माता की मूर्ति मिली। उन्होंने उस मूर्ति को गाँव में स्थापित किया और तब से ही यहाँ पूजा-अर्चना की जा रही है। महत्व यह मंदिर न केवल जोधपुर में, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। संतोषी माता को समर्पित यह मंदिर विशेष रूप से महिलाओं के बीच लोकप्रिय है। शुक्रवार का दिन इस देवी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तों का मानना है कि लगातार 16 शुक्रवार तक संतोषी माता का व्रत और पूजा करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वास्तुशिल्प और वातावरण प्रगट संतोषी माता मंदिर एक सुंदर और शांत जगह है। यह मंदिर लाल सागर के किनारे स्थित है, जिसके कारण इसकी प्राकृतिक सुंदरता और भी बढ़ जाती है। मंदिर के चारों ओर हरे-भरे पेड़ और पौधे हैं, जो इसे एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करते हैं। मंदिर में संतोषी माता की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। विशेष आयोजन मंदिर में हर हफ्ते शुक्रवार के दिन मेला लगता है और इसके अलावा, प्रगट संतोषी माता मंदिर में साल भर कई धार्मिक आयोजन और उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण आयोजन संतोषी माता व्रत है, जो हर शुक्रवार को किया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में आते हैं और माता की पूजा-अर्चना करते हैं। कैसे पहुंचे प्रगट संतोषी माता मंदिर जोधपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। यहाँ पहुंचने के लिए आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस का उपयोग कर सकते हैं। अन्य जानकारी मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। आप मंदिर में पूजा सामग्री और प्रसाद भी खरीद सकते हैं। प्रगट संतोषी माता मंदिर एक पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान है, जहाँ भक्तों की गहरी आस्था और श्रद्धा जुड़ी हुई है। यदि आप जोधपुर में हैं, तो इस मंदिर के...
Read moreThe Santoshi Mata Temple in Jodhpur is an esteemed religious site located in Lal Sagar, about 10 kilometers from the city center. This temple is dedicated to Santoshi Mata, revered as the Mother of Contentment, who is believed to be the daughter of Lord Ganesha and an incarnation of Goddess Durga. The temple is particularly significant for women, who often worship here, especially on Fridays, which are considered auspicious.
The temple is noted for its serene environment and beautiful architecture. It attracts devotees who perform the 16 Friday Vrata, a ritual believed to bring prosperity and eliminate poverty. Visitors often praise the cleanliness and peaceful ambiance of the temple. It is easily accessible via various modes of transport from Jodhpur, including buses, autos, and taxis.
For those interested in cultural and spiritual experiences, the Santoshi Mata Temple provides a profound glimpse into local religious practices...
Read moreराजस्थान के जोधपुर में संतोषी माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि इस मंदिर में माता मूर्ति रूप में साक्षात निवास करती हैं और दर्शन करने आए श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती हैं। प्रगट संतोषी माता मंदिर के नाम से विख्यात, इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है जैसे मुख्य गर्भगृह की चट्टानें शेषनाग की भांति माता की मूर्ति पर छाया कर रही हों। यहां माता को लाल सागर वाली मैय्या और संतोषी मैय्या के रूप में लोग पूजते हैं। इस मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।पहाड़ों के बीच लाल सागर नाम का एक सरोवर है। मंदिर के आस-पास काफी हरियाली है जहां नीम, पीपल, वट वृक्ष और अन्य कई भांति-भांति के वृक्ष हैं। इसी पहाड़ी के अंदर ऊपरी भाग में प्राकृतिक मातेश्वरी और सिंह का पदचिह्न बना हुआ है। मन्दिर के पास ही एक अमृत कुण्ड है, जिसके ऊपर कई वर्षों से एक ही आकार में हरा भरा वट वृक्ष है। इसके पास से झरना बहता है। मंदिर के आस-पास का यह दृश्य अत्यंत मनोरम है जो श्रद्धालुओं को आनंद विभोर कर देता है।जोधपुर के मंडोर रोड कृषि मंडी के पीछे स्थित इस मंदिर के आसपास लाल रंग की चट्टानें हैं जिन पर सूर्य की किरणें पड़ने से पूरा क्षेत्र लाल रंग की आभा से ऐसे लगता है जैसे माता चुनर फैलाकर इस क्षेत्र में बैठी हों। विस्तृत क्षेत्र में फैले इस मंदिर में शारदीय नवरात्र के दौरान भक्तों की कतार लगी रहती है। मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्जवलित रहती है और हवन और कीर्तन चलता रहता है। राजस्थान सहित आसपास के राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी और गुजरात तक से श्रद्धालु मंदिर में माता के दर्शन के लिए और अपनी मनोकामना लिए आते हैं। कहते हैं माता अपने भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटाती हैं।सर्दियों में मंदिर सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है जबकि गर्मियों में सुबह 6 बजे से रात को 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के व्यवस्थापक जगदीश सांखला ने बताया कि मंदिर में दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में धर्मशाला है जहां केवल परिवार सहित आने वाले भक्तों को ठहरने की नि:शुल्क सुविधा मिलती है। उन्होंने बताया कि मंदिर विकास के लिए किसी तरह का कोई चंदा नहीं लिया जाता है और ना ही माता की चौकी...
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