Very nice temple situated over mountain range. Mata Ratangadh Wali and Kuwar Sahab Temple is there. You have to go via steps upward. Lot of crowd on Diwali Dauj with Lakkhi Mela with around 25 lakh people visitors. Police and other department are alert. Lot of shops where you can purchase prasad and items for daily use here. This place is famous for Snake Bite Treatment (Sarp Dansh) on Diwali Dauj. Doctors team available 24×7 on Lakkhi Mela, here you can get first aid and ambulance facility is available. Police prashan is very alert here. Your vehicle parking may be far away from temple. So you have to walk around 3 to 4 Kilometer on Lakkhi Mela. Railway Station is not there so you can go via Bus or your personal vehicle. Monkey are there but not much. Vehicle can reach upto temple but not during overcrowded days. Teen Shed is available. Drinking water is available near temple. A big bell and large Lion made from Brass are very attractive. Not to click picture in temple. Katare Ji Maharaj is Pujari here. Kuwar Baba Temple in Gwalior district and Ratangarh Mata Temple in Datia District. In case of missing you can contact control room below Mata Temple. Nowadays Ratangarh pull is fall down because of flood. But you can go here from Gwalior side and Dirauli Par. From Bhaguapura side there is trouble due to broken bridge but you can pass Sindh River during less water in River via ships available there. Better not to pass barefoot. Very nice experience and must visit place. Better to go during non crowded days so that you can have Darshan with ease. Shoots from tree repels snake from home people's says that. Bridge construction is going on and soon it will...
Read moreRATANGARH MATA MANDIR,DATIA (M.P.)
रतनगढ़ माता माण्डुला देवी और कुंवर महाराज का इतिहास
HISTORTY OF RATANGARH MATA MADULA DEVI AND KUWAR MAHARAJ
मंदिर की स्थापना:(ESTABLISHMENT OF TEMPLE) रतनगढ़ माता मंदिर रामपुरा गाँव से 11 किमी दूर तथा दतिया से 65 किमी दूर स्थित है ! यह पवित्र स्थान घने जंगल मे सिंध नदी के तट पर स्थित है ! यहाँ हर वर्ष दिवाली दूज पर हजारों कि संख्या मे लोग दर्शन करने आते है !
नदी से छ: किलोमीटर दूर स्थित रतनगढ़ माता मंदिर की स्थापना लगभग 600 वर्ष पूर्व सत्रहवीं सदी मे हुई थी। छत्रपति शिवाजी जब बादशाह औरंजगेब की कैद में थे, तब उनके गुरू समर्थ रामदास, रतनगढ माता की मडिया में लगभग 6 माह तक रहे थे। यहीं रहकर उन्होंने शिवाजी को छुड़ाने की योजना बनाई थी। औरंजगेब के कैद से छूटकर शिवाजी सबसे पहले रतनगढ आये थे। उसी समय गुरू समर्थ रामदास और छत्रपति शिवाजी द्वारा, माता की मूर्ति की स्थापना की गई थी। मां रतनगढ के प्रति अंचल सहित सीमावर्ती जिलों के लाखों लोगो की आस्था जुड़ी है। प्रति सोमवार को मां के दरबार में विशाल मेला लगता है। वही नवरात्रि में लाखों श्रृद्धालु माता के दर्शन करते है।
रतनगढ़ माता का इतिहास (HISTORY OF RATANGARH MATA)घने जंगल में सिंध नदी के किनारें विध्यांचल पर्वत श्रृखला के पर्वत पर स्थित देवी मंदिर गवाह हैं कि, यहां पर राजा रतनसेन ने देश धर्म की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक मुगलों से लोहा लिया था। राजा शंकर शाह के पुत्र रतनसेंन ने तेहरवीं शताब्दी 900 वर्ष पूर्व में उसी अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) से लोहा लिया था। जिसकी वजह से पद्मावती को जौहर करना पड़ा था। रानी पद्मिनी को हासिल, कर पाने में असफल अलाउद्दीन की नजर रतनगढ़ की रूपसी राजकुमारी माण्डुला के सौन्दर्य पर पड़ गई थी। उसे हासिल करने के लिए अलाउद्दीन ने रतनगढ़ पर आक्रमण किया था। रतनगढ़ के राजा रतन सिंह के सात राजकुमार और एक पुत्री थी। पुत्री अत्यन्त सुन्दरी थी उसकी सुन्दरता की ख्याति से आकर्षित होकर उलाउद्दीन खिलजी ने उसे पाने के लिए रतनगढ़ की ओर सेना सहित प्रस्थान किया। घमासान युद्ध हुआ जिसमें रतन सिंह और उनके छः पुत्र मारे गये। सातवें पुत्र को बहिन ने तिलक करके तलवार देकर रणभूमि में युद्ध के लिए बिदा किया। राजकुमारी ने भाई की पराजय और मृत्यु का समाचार पाते ही माता वसुन्धरा से अपनी गोद में स्थान देने की प्रार्थना की। जिस प्रकार सीता जी के लिए माँ धरती ने शरण दी थीं, उसी प्रकार इस राजकुमारी के लिए भी उस पहाड़ के पत्थरों में एक विवर दिखाई दिया जिसमें वह राजकुमारी समा गई/ उसी राजकुमारी की यहां माता के रुप में पूजा होती है। यहां यह विवर आज भी देखा जा सकता है। युद्ध का स्मारक हजीरा पास में ही बना हुआ है। हजीरा उस स्थान को कहते हैं जहां हजार से अधिक मुसलमान एक साथ दफनाये गये हों। विन्सेण्ट स्मिथ ने इस देवगढ़ का उल्लेख किया है राजा रतनसेन ने अपनी बेटी की लाज एंव राजपूत गौरव की रक्षा के लिए संघर्ष किया था। राजा ने बेटी की रक्षा का भार अपने छोटें भाई कुंवर जूं को सौंपकर, अलाउद्दीन खिलजी का सामना किया। जंग में खिलजी के हजारों योद्धा मारे गये जिससे उसे भागना पड़ा था।
प्रसिद्ध रतनगढ़ माता के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया जिले से 63 किलोमीटर दूर मर्सैनी गांव के पास स्थित है। बीहड़ इलाका होने की वजह से यह मंदिर घने जंगल में पड़ता है। इसके बगल से ही सिंध नदी बहती है! यहां अपनी मन्नतों की पूर्ति के लिए आने वाले लोग दो मंदिर के दर्शन करते हैं। एक मंदिर है रतनगढ़ माता का और दूसरा है कुंवर महाराज का। मान्यताओं के अनुसार कुंवर महाराज रतनगढ़माता के भाई हैं। कहा जाता है कि कुंवर महाराज जब जंगल में शिकार करने जाते थे तब सारे जहरीले जानवर अपना विष बाहर निकाल देते थे। इसीलिए जब किसी इंसान को कोई विषैला जानवर काट लेता है तो उसके घाव पर कुंवर महाराज के नाम का बंध लगाते हैं। बंध लगाने के बाद वो इंसान भाई दूज दीपावली के दूसरे दिन कुंवर महाराज के मंदिर में दर्शन करता है यह मंदिर छत्रपति शिवाजी महाराज की मुगलों के ऊपर विजय कि निशानी है जो की सत्रहवीं सदी मे युध्द हुअा था छत्रपति शिवाजी और मुगलों के वीच और तब माता रतनगढ़ वाली और कुंवर महाराज ने मदद की थी क्योंकि ।माता रतन गढ़ वाली और कुंवर महाराज ने शिवाजी महाराज के गुरु रामदास जी को पथरी गढ़ यानी देव गढ़ के किले मे दर्शन दिए थे और शिवाजी महाराज को मुगलों से फिर से युध्द के लिए प्रेरित किया था और फिर जब पूरे भारत पर राज करने वाले मुगल शासन की सेना जब वीर मराठा शिवाजी की सेना से टकराई तो उन्हें मुंह की खानी पड़ी। मुगल सेना...
Read moreRatangarh Mata Mandir is located 5 Km from Rampura village and 55 km from Datia, MP(India). This holy place is in dense forest and on bank of “Sindh” river, Every year thousands of devotee come to this temple to get blessing of Maa Ratangarh wali and Kunwar Maharaj, Every year on the day of Bhai Dooj (next day of Diwali) hundreds of thousands of devotees come here to get darshan of Mata and Kunwar Maharaj This holy place can be reached from Gwalior and Datia easily. Visitors can reach Datia by train (couple of trains stops here), This temple is located around 55 kms from Datia, Rent/drive vehicle to Seondha road from datia, after around 48 kms take exit at charokhra village (1 km before Bhagua Rampura village), drive around 4-5 Km on internal road toward ratan garh. Since Bridge construction on sindh river is completed , all vehicles can be reached till temple or need to be parked before that depend on permission by local authority based on number of visitors. Visitor can reach Gwalior via Train/Flights Rent/drive a vehicle 40-50 kms on gwalior- seondha road via Behat, After crossing Behat city and and driving on Mau road, there is a big entrance gate on right side (couple of kilometer before mau) which will take you to Kunwar maharaj temple(around 5 Km towards...
Read more