This place is situated near Bikaner.Vishnoism revolves around 29 rules. Of these, eight prescribe to preserve biodiversity and encourage good animal husbandry, seven provide directions for healthy social behaviour, and ten are directed towards personal hygiene and maintaining basic good health. The other four commandments provide guidelines for worshipping God daily. you must read the book which is written by *Chandla, M. S. (1998). Jambhoji: Messiah of...
Read moreमहंत स्वामी सच्चिदानन्द आचार्य :- 'जीवन परिचय' बचपन का नाम-श्रीचंद सियाग जन्म-20 मार्च 1992 पिता का नाम-मोहन लाल सियाग जन्म-रासीसर, नोखा, बीकानेर शिक्षा-2015 में आचार्य की उपाधि । वर्तमान में 'वेदांत के आलोक में जम्भवाणी का अनुशीलन' विषय पर शोधरत...(PhD) साधुत्व धारण-4 जुलाई 2008 पहली बार कथावाचन- 21 वर्ष की आयु में जनवरी 2013 में ।
विलक्षण प्रतिभा के धनी स्वामी सच्चिदानंद की याददाश्त क्षमता जबरदस्त है। 400 से अधिक भजन और साखियां कंठस्थ है। अनुशासन-समाज में लोकप्रियता और कठोर दैनिक अनुशासन के कारण आपके 3 से 4 महीने का शेड्यूल पहले से तैयार रहता है।
उपलब्धियां 1.बिश्नोई समाज में 2300 से अधिक जागरण लगा चुके हैं। 2.130 से अधिक कथाएं कर चुके... 6 युवा सम्मेलनों का सफल आयोजन कर चुके हैं।
स्वामी जी आपने समाज को ईश्वरीय ज्ञान से जोड़ने, सनातन संस्कारों को पल्लवित पुष्पित करने तथा लोगों को जीवन जीने की कला सीखाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। साधु-संत का सभ्य समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। कोई भी समाज हो संत में यह देखता है कि उसमें सहजता है या नहीं, हृदय में सात्विक गुण है या नहीं। क्षमाशीलता है या नहीं। संयम है या नहीं। संत में दूसरों की भलाई करने की भावना है या नहीं। आप संतत्व के इन सभी गुणों पर खरे उतरते...
Read moreलालासर साथड़ी (बीकानेर) लालासर गाँव, बीकानेर ज़िले में स्थित साथड़ी बिश्नोई समाज के लिए अत्यंत पूजनीय स्थान है। यह स्थल गुरु जंभेश्वर भगवान (जंभाजी) की शिक्षाओं और आदर्शों से जुड़ा हुआ है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु राम-राम के अभिवादन से एक-दूसरे का स्वागत करते हैं और गुरु जंभाजी के 29 नियमों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। . . लालासर की साथड़ी धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी बड़ी महत्ता रखती है। यहाँ प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में मेलों और धार्मिक सभाओं का आयोजन होता है, जिनमें दूर-दराज़ के गाँवों और कस्बों से श्रद्धालु पहुँचते हैं। इन मेलों में भजन-कीर्तन, सत्संग और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाता है। . . यह स्थान बिश्नोई समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। श्रद्धालु यहाँ आकर गुरु जंभेश्वर भगवान को नमन करते हैं और जीव रक्षा, वृक्ष संरक्षण तथा सदाचार जैसे सिद्धांतों का पालन करने की प्रेरणा पाते हैं। . . लालासर साथड़ी बीकानेर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह बिश्नोई संस्कृति और जीवन मूल्यों का प्रतीक है, जहाँ समाज की जड़ें और परंपराएँ सजीव दिखाई देती हैं। . . . . ❤️🩹Jai...
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