Ambe maata ji ka mandir bahut hi shubh h mere liye खंडेलवाल वैश्य समाज की कूल देवियॉं एवं उनके स्थान:-
कपासन माता :- खूंटेटा जयपुर जिले में शाहपुरा अलवर रोड पर बैराठ के पास मेड गांव में स्थित है।
माखद माता:- सेठी, बैद (सेानी) जयपुर जिले में कोटपुतली से नीम का थाना रोड पर गावडी गांव के पास स्थित है।
सरसा माता:- बडाया, बूसर, माली, बावरिया अलवर जिले में दौसा से अलवर रोड पर गोला का बास के आगे पहाड में गुफा में स्थित है।
सेंतलवास माता:- धामाणी, राजोरिया भांगला सीकर जिले के खण्डेला गांव में चारोडा के पास ओमा माली के खेत में स्थित है।
सरूण्ड माता:- अटोलिया, बडगौती, हल्दिया , कूलवाल , झंगीनिया, मामोडिया, जयपुर जिले में कोटपुतली से नीम का थाना रोड पर सरूण्ड गांव की पहाडी पर स्थित है।
शाकम्भरी माता:- डंगायच (कूलवाल) सीकर जिले के खण्डेला से उदयपुर वाटी होते हुए 16 किमी आगे की ओर स्थित है।
नीमवासिनी, (गाववासिनी):- बीमवाल, बिंवाल, खाडिया सीकर जिले में खण्डेला गांव से खण्डेला धाम पर स्थित है।
जीण माता:- नाटाणी, दुसाद, कायथवाल, पाटोदिया, कासलीवाल, टटार, खारवाल, भण्डारिया , तमोलिया, लाभी, सांखूनियॉं, शाहरा,सेानी सीकर जिले में गौरियॉं से रेवासा होते हुए 15 किमी आगे स्थित है।
चांवड (चामूंडा) माता:- झालाणी अजमेर में फाई सागर रोड पर सी;आर;पी;एफ; कैम्प के पास पहाडी पर स्थित है।
बमूरी माता:- निरायणवाल, घीया, जसोरिया, फरसोईया, ठाकुरिया सीकर जिले जीण माता मन्दिर के नीचे तहखाने में स्थित है।
औरल माता:- रावत सीकर जिले में खण्डेला गांव में रसेडा तालाब के किनारे स्थित है।
आमण माता:- आमेरिया, भुखमारिया, माणकबोहरा जयपुर जिले में मनोहरपुर के पास दूदी आमलोदा गांव स्थित है।
मण्डेर माता:- पाबूवाल सीकर जिले में खण्डेला गांव में रसेडा तालाब रोड पर स्थित है।
नागिन माता:- ताम्बी, बुढवारिया जयपुर जिले में अमरसर के पास नायन गांव के खेत में स्थित है।
वतवीर माता:- माठा सीकर जिले में खण्डेला गांव से चारोडा के पास स्थित है।
समगरा ( करसट ) माता:- सिरोहिया सीकर जिले में खण्डेला गांव में खण्डेला धाम पर स्थित है।
डाबरी माता:- धौंकरिया झुन्झुनू जिले में रघुनाथगढ गांव से 6 किमी आगे डाबरी गांव में स्थित है।
अमरल ( नोसल):- मेठी अजमेर जिले में किशनगढ से रूपनगढ होते हुए लोसल गांव में स्थित है।
आंतेल माता ( आंतन):- कटटा , टोडवाल, नैनीवाल जयपुर जिले में चौमूं से वीर हनुमान जी रोड पर स्थित है।
जमबांध (जमवाय ) माता:- बढेरा जयपुर जिले में जमवारामगढ बांध के आगे स्थित है।
सावरदे माता:- बम्ब जयपुर में जमवारामगढ रोड पर बन्ध घाटी जलमहल के पीछे स्थित है।
चामुण्डा माता:- महरवाल, सांम्भरिया , सिंगोदिया सीकर जिले के खण्डेला गांव में पहाडी पर स्थित है।
कोलाईन माता:- बाजरंगान अलवर जिले में हमीरपुर गांव में पहाडी पर स्थित है।
नन्दभगौनी (दांत ) माता:- किलकिल्या जयपुर जिले में जमवारामगढ गांव में पहाडी के उपर स्थित है।
बडवासिनी माता:- पीतलिया दौसा से आगे सिकन्दरा से गंगापुर रोड पर कैलादेवी के पास स्थित है।
कुरसड (कुलसठ) माता:- सौंखिया दौसा जिले में बसवा में झालाणी मौहल्ले में पारासर के मकान में स्थित है।
नावड माता:- केदावत, ओढ अलवर जिले में अलवर शाहपुरा रोड पर थाना गाजी के पास तालव़ृक्ष के पास स्थित है।
मितर माता:- काठ अलवर जिले में राजगढ के पास माचेडी गांव में स्थित है।
कनकस (धौलागढ) माता:- कोडिया अलवर जिले में लक्ष्मणगढ के पास धौलागढ की पहाडी पर स्थित है।
सार माता:- माचीवाल, बनावडी झुन्झुनू जिले में मुकन्दगढ के पास राजपुरा गांव में स्थित है।
तिलोधहड माता:- आकड सीकर जिले के खण्डेला गांव स्थित रसेडा तालाब के निकट हनुमान जी के मन्दिर के पास, बड के पेड के नीचे स्थित है।
विनजिल ( वृन्दावती) माता:- डांस सवाई माधोपुर जिले के बौंली गांव में संस्कृत कॉलेज के पास बगीची में स्थित है।
ढकवासन माता:- मंगोडिया ( मंगोडरिया, मंढोकल्या) अलवर जिले में बहरोड से आगे तारपुर चौराहे से एक किमी पहले स्थित है।
विरहल (ललता ) माता:- गोलिया, (गोल्या, गोविन्दराजिया) सीकर जिले के खण्डेला बरसिंहपुरा रोड से अन्दर रामू अहीर के खेत में स्थित है।
भंवर कठेर (बांकी )माता:- खटोडिया (कठोरिया ) जयपुर जिले में जमवारामगढ तहसील में रायसर गांव में पहाडी पर स्थित है।
वक्र (समोखण) माता:- बटवाडा, नैनावा अलवर जिले के राजगढ के पास माचेडी गांव...
Read moreयहाँ मैं मन्दिर के बारे में ना लिखकर इसके पास ही स्थित सरसा नदी एवं इस पर बने बाँध के दूसरे किनारे की तरफ पहाड़ की तलहटी में घने जंगल में स्थित खण्डहर के बारे में लिख रहा हूँ जिसके मैंने वीडियो और फोटो भी अपलोड किए हैं घने जंगल में स्थित खण्डडर बन चुके गुंबद और छतरीयों का भ्रमण पूर्वनियोजित नहीं था ये सब अचानक से हुआ था दरअसल मैं इसी रोड़ से गुजर रहा था तो रोड़ पर ही स्थित श्री सरसा माता मन्दिर के पास में स्थित सरसा नदी पर बाँध बना हुआ है जिसे देखने के लिए रुक गया इस बाँध की खूबसूरती को बहुत देर तक निहारने के बाद जब मैं आगे बढ़ा तो थोड़ी दूर छतरीयाँ दिखाई दी तो उनको देखने और उनके बारे में जानने को मन में उत्सुकता बढ़ गई बिना एक भी क्षण गँवाए मैं बढ़ चला उनकी तरफ लेकिन थोड़ी ही दूर जाने पर रास्ता बंद सा होने लग गया | कंटीली और पथरीली राह से बचते ही जैसे - तैसे अपनी मंजिल तक पहुँचा तो देखकर आँखे और चौड़ी हो गई क्योंकि जैसा सोचकर आया था यहाँ उससे काफी कुछ ज्यादा देखने को मिला था उन छतरीयों अलावा पास में ही दो गुंबदनुमा ज्यामिति बनी हुई थी और हैरानी तो तब और ज्यादा हुई जब इन्ही छतरीयों के नीचे काफी संख्या में छोटे कमरे टाइप के रास्ते से बने हुए थे जो देखने में डरावाने से लग रहे थे यहाँ आने के बाद मुझे विचित्र सा महसूस हो रहा था क्योंकि एक तो ये घना कँटीला जंगल जिसमें हिंसक जानवर रहते हैं तो उनके मिलने की प्रबल संभावना थी और दूसरा ये अपेक्षा से ज्यादा बड़े और खंडित पुरातात्विक स्थल जिनका इतिहास भी भानगढ़ से जुड़ा है तो आप समझ ही सकते हैं कि जब भानगढ़ का नाम आए और डर की बात ना हो तो ऐसा तो हो ही नहीं सकता ये यात्रा काफी रोमांचकारी रही दोस्तों.. Here I am not writing about the temple and writing about the Sarsa river located near it and the ruins located in the dense forest in the foothills of the mountain on the other side of the dam built on it and the other side of the dam on it. Which I have also uploaded videos and photos The tour of domes and umbrellas, which has become a block located in a dense forest, was not prepared, all this happened suddenly. Actually, I was passing through this road, then a dam is built on the Sarsa river located near the Sri Sarsa Mata temple located on the road, which stopped to see. After staring at the beauty of this dam for a long time, when I moved forward, there was a little umbrella, then the eagerness to see and know about them increased in mind. Without losing a single moment, I moved towards them, but on going a little distance, the path is closedGone As soon as he escaped from the thorny and rocky path, when he reached his destination, the eyes became wide after seeing it because he had seen a lot more from him as he came thinking. Apart from those umbrellas, there were two domed geometry nearby and surprised when a large number of small rooms were made from the way under these umbrellas, which looked scary to see. After coming here, I was feeling strange because one of this dense thorn forest in which violent animals live then theirThere was a strong possibility of meeting and second, this much larger and fragmented archaeological sites whose history is also related to Bhangarh, then you can understand that when the name of Bhangarh comes and there is no talk of fear, then this cannot happen. This journey was quite thrilling friends ... #bhangarh #sarsamata #sarsanadi #history #indianhistory #hauntedplace #forest...
Read moreThis temple of Sarsa Devi Mata is built at a distance of 30 kilometers from Dausa and 90 kilometers from Alwar in Rajasthan. The idol of Mata is situated in a cave in this temple surrounded by hills on the walking route from Golaka Bas in Alwar district. Earlier, apart from the Mata temple, there was a Shiva temple, Tibara, kitchen and Dharamshala, which had fallen into disrepair.But now after getting the renovation done by the Trust, there is a huge hall in front of the temple, beautiful devotee residence, guest house, kitchen, tin shed, common bath, office, beautiful garden etc. For the last 28-30 years, the Trust has been providing services to the learned Pandit Mata. Arrangements for puja-aarti and bhog are being made both daily.
Though Sarsa Mata is worshiped in many societies, but the Samajbandhus of Badaya, Bussar, Mali and Bavariya Gotra of Khandelwal Vaishya community worship Sarsa Mata considering her as their...
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