श्री गिरिराज जी, जिन्हें गोवर्धन पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, ब्रजभूमि के एक महत्वपूर्ण और पूज्यनीय स्थल हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण के साक्षात् स्वरूप माने जाते हैं। श्री गिरिराज जी का पता श्री गिरिराज जी उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित हैं। यह मथुरा शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोवर्धन और इसके आसपास के क्षेत्र को ब्रजभूमि भी कहा जाता है। यहां तक पहुँचने के लिए: सड़क मार्ग: मथुरा से जीप, बस या टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। रेल मार्ग: निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है। वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डे दिल्ली और आगरा हैं, जहाँ से आप सड़क मार्ग से गोवर्धन पहुँच सकते हैं। श्री गिरिराज जी का इतिहास गिरिराज गोवर्धन का इतिहास पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। हनुमान जी और गोवर्धन: एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान राम के लिए सेतुबंध का कार्य चल रहा था, तब हनुमान जी उत्तराखंड से इस पर्वत को ला रहे थे। उसी समय एक आकाशवाणी सुनकर वे पर्वत को ब्रज में स्थापित कर भगवान श्री राम के पास लौट गए। पुलस्त्य ऋषि और गोवर्धन: एक अन्य मान्यता के अनुसार, मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ऋषि तीर्थयात्रा के दौरान द्रोणाचल पर्वत से गोवर्धन को ब्रज में लाए थे। द्रोणाचल की पत्नी के गर्भ से गोवर्धन ने भारतवर्ष के पश्चिम दिशा में षाल्मली द्वीप के भीतर जन्म लिया। देवताओं ने इस पर पुष्प वर्षा की और हिमालय व सुमेरु जैसे पर्वतों ने आकर इसका पूजन किया। तभी से यह 'गिरिराज' कहलाने लगा। भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन लीला: गिरिराज जी का सबसे प्रसिद्ध इतिहास भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला से जुड़ा है। जब इंद्र ने ब्रजवासियों पर क्रोधित होकर भारी वर्षा की, तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों और पशुओं की रक्षा की। इस घटना के बाद से गिरिराज जी की पूजा शुरू हुई और इंद्र का अहंकार भंग हुआ। परिक्रमा का महत्व: कलियुग में गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है। यह परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर (सात कोस) की होती है और भक्तों के सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली मानी जाती है। कहा जाता है कि गिरिराज जी का आकार पुलस्त्य मुनि के शाप के कारण प्रतिदिन कम होता जा रहा है। श्री गिरिराज जी के मंत्र श्री गिरिराज जी की पूजा में विभिन्न मंत्रों और स्तुतियों का प्रयोग किया जाता है। यहां कुछ प्रमुख मंत्र और चालीसा दिए गए हैं: गोवर्धन पूजा मंत्र: सबसे प्रचलित और महत्वपूर्ण मंत्र गोवर्धन पूजा के समय बोला जाता है: "गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।" यह मंत्र गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले, गोकुल की रक्षा करने वाले, भगवान विष्णु की भुजाओं से ऊंचे और करोड़ों गायों के स्वामी के रूप में पूजता है। गिरिराज जी की आरती: "ॐ जय गिरिराज हरे, स्वामी जय गिरिराज हरे। शरण तुम्हारी आए, करुणा पूर्ण करी।। मोर मुकुट सिर सोहत, मस्तक पर चंदन, स्वामी मस्तक पर चंदन। गल बैजंती माला, काटे भव बंधन।।" श्री गिरिराज चालीसा: श्री गिरिराज चालीसा का पाठ भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसके कुछ अंश: दोहा: बंदहुँ वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्यान। महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण।। चौपाई: जय हो जय बंदित गिरिराजा। ब्रज मण्डल के श्री महाराजा।। विष्णु रूप तुम हो अवतारी। सुन्दरता पै जग बलिहारी।। ... जो यह चालीसा पढ़े, सुने शुद्ध चित्त लाय। सत्य सत्य यह सत्य है, गिरिवर करै सहाय।। क्षमा करहुँ अपराध मम, त्राहि माम् गिरिराज। श्याम बिहारी शरण में, गोवर्धन महाराज।। गिरिराज चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है, दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है, नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा मिलती है, इच्छाओं की पूर्ति होती है और आंतरिक शांति मिलती है। यदि आप गिरिराज जी की परिक्रमा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह एक अत्यंत...
Read moreI know that when you visit a spiritual place, you need to feel the vibe and connect with it. Growing up hearing Krishna stories, watching Krishna Leela, and learning about the Mahabharata, this place does have a certain vibe. However, the downside is that it feels like the place is built over a sewer line, as all the gutters and sewers are overflowing. The temple wasn’t clean, and there was a strong smell. At the very least, the temple should be kept clean. When the place itself is not clean, how are you supposed to feel connected to God? Cleanliness is the first rule of spirituality.
Unfortunately, this place seems to be more about marketing, and it is deteriorating day by day due to greed. I don’t understand what the government is doing about it. Even the kunds here smell bad. After talking to a local, I found out that their house outlets and sewage are directed into the kund. How can we pray in such conditions? I hope up govt will do...
Read moreThe temple is beautiful and almost always crowded. However it needs to be a bit more clean with all the milk, water used for abhishek. Parikrama marg starts ryt there with multiple small temples and murtis. Make sure of not donating a hefty sum of money when not intended. There are a lot of shopkeepers, guides, priests ready to demand for a lot of money in some or the other around the whole parikrama marg especially some temples in between the marg or at some kund. Once parikrama is completed you'll reach this temple again, spend some time sitting at the temple, connecting to God. The feeling while walking around the parvat will itself be phenomenal and you'll encounter multiple kinds of people on your way inspiring and making you realize what life is all about sometimes, and how petite we are and petty are our issues and life, god, spirituality is much more than that. Wish u a good visit and parikrama Hare Krishna, Jai Jai...
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