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Kali Bahan Mandir Etawah — Attraction in Uttar Pradesh

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Kali Bahan Mandir Etawah
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Kali Bahan Mandir Etawah
IndiaUttar PradeshKali Bahan Mandir Etawah

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Kali Bahan Mandir Etawah

Q232+GCW, Kali Vahan St, Uttar Pradesh 206131, India
4.7(608)
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Reviews of Kali Bahan Mandir Etawah

4.7
(608)
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Best place in etawah to worship 🙌 Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with fellow believers. Hindu temples, or mandirs, are places of worship and spiritual significance for Hindus. They are often beautifully adorned with intricate carvings and sculptures, creating a serene and inspiring atmosphere. Mandirs serve as centers for prayer, meditation, and community gatherings, fostering a sense of connection with the divine and with...

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डिवाइन.उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे यमुना नदी के किनारे मां काली का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे मान्यता है कि यहां महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा आकर सबसे पहले पूजा करता है। इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खासा महत्व हो जाता है जहां अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि काली वाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वे करीब 44 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात के अंधेरे में जब मंदिर को साफ कर दिया जाता है। तड़के गर्भगृह खोला जाता है।

उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कोई अद्दश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं। के.के.पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा ने बुधवार को यूनीवार्ता से कहा कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं। कभी चंबल के खूखांर डाकुओ की आस्था का केंद्र रहे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर से डाकुओं से इतना लगाव रहा है कि वो अपने गैंग के डाकुओं के साथ आकर पूजा अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुये लेकिन इस बात की पुष्टि तब हुई जब मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे चढ़े हुये देखे गये. उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के तट पर मां काली का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर के बारे में मान्यता प्रचलित है कि यह महाभारत के कालीन सभ्यता से जुड़ा हुआ है। इस के बारे में जनश्रुति अनुसार इसमें महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा अदृश्य रूप में आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खास महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। इटावा के गजेटियर में इसे काली भवन का नाम दिया गया है। यमुना के तट के निकट स्थित यह मंदिर देवी भक्तों का प्रमुख केन्द्र है। इष्टम अर्थात शैव क्षेत्र होने के कारण इटावा में शिव मंदिरों के साथ दुर्गा के मंदिर भी बड़ी सख्या में हैं। महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की प्रतिमायें हैं। इस मंदिर में स्थित मूर्ति शिल्प 10वीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य का है। वर्तमान मंदिर का निर्माण बीसवीं शताब्दी की देन है। मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां हैं- महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती। महाकाली का पूजन शक्ति धर्म के आरंभिक रूवरूप की देन है। मार्कण्डेय पुराण एवं अन्य पौराणिक कथानकों के अनुसार दुर्गा जी प्रारम्भ में काली थी। एक बार वे भगवान शिव के साथ आलिगंनबद्ध थीं, तो शिवजी ने परिहास करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे श्वेत चंदन वृक्ष में काली नागिन लिपटी हुई हो। पार्वती जी को क्रोध आ गया और उन्होंने तपस्या के द्वारा गौर वर्ण प्राप्त किया। मंदिर परिसर में एक मठिया में शिव दुर्गा एवं उनके परिवार की भी प्रतिष्ठा है। मठिया के बाहर के बरामदे का निर्माण न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त के पूर्वजों ने किया है। महाभारत में उल्लेख है कि दुर्गाजी ने जब महिषासुर तथा शुम्भ-निशुम्भ का वध कर दिया, तो उन्हें काली, कराली, काल्यानी आदि नामों से भी पुकारा जाने लगा।

काली वाहन मंदिर काफी पहले से सिनेमाई निर्देशकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है। निर्माता निर्देशक कृष्णा मिश्रा की फिल्म बीहड़ की भी फिल्म का कुछ हिस्सा इस मंदिर में फिल्माया गया है। बीहड़ नामक यह फिल्म 1978 से 2005 के मध्य चंबल घाटी में सक्रिय रहे डाकुओं की जिंदगी पर बनी है। यमुना नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक काली वाहन मंदिर के स्वामित्त्व को लेकर अदालत ने फैसला सुनाया हुआ है। लंबी अदालती लड़ाई के बाद काली वाहन मंदिर अब सार्वजनिक मंदिर ना हो कर निजी मंदिर के दायरे मे आ चुका है। मंदिर के पूर्व पुजारी शंकर गिरी के बेटो को मंदिर को अदालत के आदेशों के बाद सौंपा जा चुका है। करीब 22 साल पहले शंकर गिरी के साथ मे पूजा करने वाले सुशील चंद्र गोस्वामी ने नई कमेटी का गठन करके 1997 मे अदालत में दावा कर इस मंदिर पर अपना हक जताया लेकिन अदालत ने केस की सुनवाई के दौरान एक रिसीवर को तैनात कर दिया। उसके बाद लगातार अदालत में सुनवाई होती रही। गवाहो सबूतो और सरकारी वकीलों के जिरह के बाद अपर जिला जज ने काली वाहन मंदिर को निजी संपति मानते हुए शंकर गिरी के बेटे रविंद्र गिरी और विजय गिरी को सौंप दिया। जो वाकायदा अब मंदिर का संचालन करने में...

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The Kali Vahan Mandir in Etawah, Uttar Pradesh, is a significant temple believed to be a pilgrimage site for devotees of Maa Kali. It's situated near the Yamuna river and is a prominent center for devotees, according to News18 Hindi. A key belief associated with the temple is that the immortal character Ashwatthama from the Mahabharata is said to have been the first to worship here.

इटावा में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे मान्यता है कि यहां महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खासा महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। काली वाहन मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि काली वाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वे करीब 42 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात के अंधेरे में जब मंदिर को साफ कर दिया जाता है। तड़के गर्भगृह खोला जाता है। उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कोई अदृश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं।

इस मंदिर की महत्ता के बारे मे के.के.पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं। कभी चंबल के खूखांर डाकुओ की आस्था का केंद्र रहे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर से डाकुओं से इतना लगाव रहा है कि वो अपने गैंग के डाकुओं के साथ आकर पूजा अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुये लेकिन इस बात की पुष्टि तब हुई जब मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे चढ़े हुये देखे गये।

इटावा के गजेटियर में इसे काली भवन का नाम दिया गया है। यमुना के तट के निकट स्थित यह मंदिर देवी भक्तों का प्रमुख केन्द्र है। इष्टम अर्थात शैव क्षेत्र होने के कारण इटावा में शिव मंदिरों के साथ दुर्गा के मंदिर भी बड़ी सख्या में हैं। महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की प्रतिमायें हैं। इस मंदिर में स्थित मूर्ति शिल्प 10वीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य का है। वर्तमान मंदिर का निर्माण बीसवीं शताब्दी की देन है। मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां हैं- महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती। महाकाली का पूजन शक्ति धर्म के आरंभिक रूवरूप की देन है। मार्कण्डेय पुराण एवं अन्य पौराणिक कथानकों के अनुसार दुर्गा जी प्रारम्भ में काली थी। एक बार वे भगवान शिव के साथ आलिगंनबद्ध थीं, तो शिवजी ने परिहास करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे श्वेत चंदन वृक्ष में काली नागिन लिपटी हुई हो। पार्वती जी को क्रोध आ गया और उन्होंने तपस्या के द्वारा गौर वर्ण प्राप्त किया। मंदिर परिसर में एक मठिया में शिव दुर्गा एवं उनके परिवार की भी प्रतिष्ठा है। मठिया के बाहर के बरामदे का निर्माण न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त के पूर्वजों ने किया है। महाभारत में उल्लेख है कि दुर्गाजी ने जब महिषासुर तथा शुम्भ-निशुम्भ का वध कर दिया, तो उन्हें काली, कराली, काल्यानी आदि नामों से भी पुकारा जाने लगा।

काली वाहन मंदिर काफी पहले से सिनेमाई निर्देशकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है। निर्माता निर्देशक कृष्णा मिश्रा की फिल्म बीहड़ की भी फिल्म का कुछ हिस्सा इस मंदिर में फिल्माया गया है। बीहड़ नामक यह फिल्म 1978 से 2005 के मध्य चंबल घाटी में सक्रिय रहे डाकुओं की जिंदगी पर बनी है। यमुना नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक काली वाहन मंदिर के स्वामित्त्व को लेकर अदालत ने फैसला सुनाया हुआ है। लंबी अदालती लड़ाई के बाद काली वाहन मंदिर अब सार्वजनिक मंदिर ना हो कर निजी मंदिर के दायरे मे आ चुका है। मंदिर के पूर्व पुजारी शंकर गिरी के बेटो को मंदिर को अदालत के आदेशों के बाद सौंपा जा चुका है। करीब 22 साल पहले शंकर गिरी के साथ मे पूजा करने वाले सुशील चंद्र गोस्वामी ने नई कमेटी का गठन करके 1997 मे अदालत में दावा कर इस मंदिर पर अपना हक जताया लेकिन अदालत ने केस की सुनवाई के दौरान एक रिसीवर को तैनात कर दिया। उसके बाद लगातार अदालत में सुनवाई होती रही। गवाहो सबूतो और सरकारी वकीलों के जिरह के बाद अपर जिला जज ने काली वाहन मंदिर को निजी संपति मानते हुए शंकर गिरी के बेटे रविंद्र गिरी और विजय गिरी को सौंप दिया। जो वाकायदा अब मंदिर का संचालन करने में जुटे हुए है। इस मंदिर को सरसव्य करने के लिए उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के अलावा स्थानीय नगर पालिका परिषद की ओर से कई ऐसी...

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pravendra singhpravendra singh
It is a very nice place to be visited, Such a peace giving silence and purity is there. One must visit this place at least once with their kids, wife means full family, The vibe of this place is very positive, goddess is really very kind here, if you will pray 🙏 for something and try to get it , you will definitely get it,
Vi-Vek YadavVi-Vek Yadav
Etawah's most famous temple, It is a huge temple, there is an entry gate, in front of it is the main temple and on the left hand there is the temple of Bajrangbali and on the right hand there is the Ram temple, and on the small hill there is the Kalabhairav ​​temple. Calm and peaceful place🙏
sushil thakursushil thakur
. इटावा में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे मान्यता है कि यहां महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खासा महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। काली वाहन मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि काली वाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वे करीब 42 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात के अंधेरे में जब मंदिर को साफ कर दिया जाता है। तड़के गर्भगृह खोला जाता है। उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कोई अदृश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं।
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It is a very nice place to be visited, Such a peace giving silence and purity is there. One must visit this place at least once with their kids, wife means full family, The vibe of this place is very positive, goddess is really very kind here, if you will pray 🙏 for something and try to get it , you will definitely get it,
pravendra singh

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