Quite place near the ganga ghat,,very old mandir.
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वाराणसी. काशी को यू ही मोक्ष की नगरी नहीं कहा जाता है। यहां पर ऐसे-ऐसे सिद्धपीठ है, जहां पर दर्शन करने से भक्तों के सारे दु:ख खत्म हो जाते हैं। काशी की धार्मिक मान्यता है कि यहां के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खुद भगवान शिव भक्तों को तारण मंत्र देकर जन्मों के बंधन से मुक्त करते हैं। यही से कुछ दूरी पर मां संकटा का मंदिर है, जहां पर दर्शन करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।
गंगा घाट किनारे स्थित मां संकटा का मंदिर सिद्धपीठ है। यहां पर माता की जितनी अलौकिक मूर्ति स्थापित है उतनी ही अद्भृत मंदिर की कहानी भी है। धार्मिक मान्यता है कि जब मां सती ने आत्मदाह किया था तो भगवान शिव बहुत व्याकुल हो गये थे। भगवान शिव ने खुद मा संकटा की पूजा की थी इसके बाद भगवान शिव की व्याकुलता खत्म हो गयी थी और मां पार्वती का साथ मिला था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों जब अज्ञातवास में थे तो उस समय वह आनंद वन (काशी को पहले आनंद वन भी कहते थे) आये थे और मां संकटा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर बिना अन्न-जल ग्रहण किये ही एक पैर पर खड़े होकर पांचों भाईयों ने पूजा की थी। इसके बाद मां संकटा प्रकट हुई और आशीर्वाद दिया कि गो माता की सेवा करने पर उन्हें लक्ष्मी व वैभव की प्राप्ति होगी। पांडवों के सारे संकट दूर हो जायेंगे। इसके बाद महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को पराजित किया था। मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्त गो माता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। मां संकटा के सेवादार अतुल शर्मा ने कहा कि इस सिद्धपीठ में जो भी भक्त सच्चे मन से मां को याद करते हुए उनकी पूजा करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं।
नारियल व चुनरी के प्रसाद से खुश हो जाती है मां संकटा मां संकटा को नारियल व चुनरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिससे मां खुश हो जाती है। यहां पर चढ़ाये हुए नारियल का स्वाद भी बेहद अलग होता है। प्रसाद ग्रहण करते ही समझ मैं आ जाता है कि किसी सिद्धपीठ का दर्शन किया है।
भक्तों ही नहीं देवाताओं का भी संकट दूर करती है मां मंा संकटा के मंदिर में इतनी ऊर्जा है कि वह देवताओं के साथ भक्तों का भी संकट दूर करती है इसलिए पार्वती की रुप माने जाने वाली माता को मां संकटा कहा जाता है। शुक्रवार को यहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दराज से भक्त आते हैं और जीवन में आने वाला संकट...
Read moreThe Sankatha Mata temple is centuries old place of worship. It is said that before mahabharat, even pandavas visited this temple and worshipped Goddess Sankatha and prayed for their win in kurukshetra. The temple is busy always specially in navratra. People from all over the country visit here for blessings of...
Read moreThis temple is located in street,but godess mata Sankta temple is very beautiful. Here mala and prasad shop avilable...
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