Ma Madwarani Mandir
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मां मड़वारानी का परिचय :- मां मड़वारानी का परिचय यह है की मड़वारानी मंदिर एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है जोकि छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में है । और इस मंदिर की पूजा ज्यादातर यहां के मूल निवासियों द्वारा ही की जाती है। यह मंदिर एवं माता मड़वारानी यहां मूल निवासियों की आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक है । के और यहां यह माना जाता है जब भी कोई संकट यहां के लोगों एवं यहां के गांव पर पड़ती है तो माता मड़वारानी स्वयं प्रकट होकर इन गांव के लोगों की रक्षा करती है । माँ मड़वारानी मंदिर:- यह मंदिर मड़वारानी की पहाड़ पर एक पेड़ है जिसका नाम है कलमी पैर उसी के नीचे स्थित है और हम आपसे कहना चाहेंगे कि आप सभी को मां मड़वारानी का दर्शन अवश्य करना चाहिए यह मंदिर पहाड़ी की चोटी यह मंदिर घने पर्वतों, फूलों , फलदार वृक्षों से गिरा हुआ है एवं आयुर्वेदिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है । पहाड़ में पक्षियों, पशु, जानवर, जैसे भालू बंदर सभी को मंदिर के आसपास घूमते देखा जा सकता है इस मंदिर को पहाड़ के हिसाब से मुख्य 4 मार्गो से बांटा गया है । 1. वह मार्ग जो 5 किमी लम्बा है तथा वहां के द्वारा जाया जा सकता है। मुख्य रूप से सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला मार्ग माँ मड़वारानी निचे स्थित मंदिर से ही जाता है । 12. और अगर आपको और भी नजदीक का रास्ता चाहिए तो वह है गाओ बरपाली से होकर जाता है और यह 1 किमी का मार्ग है जो की पूरी तरह सीढ़ियों वाला है । 3.1 किमी का यहाँ रास्ता गाओ झींका-महोरा से चालू होता है । 4. 4 किमी वाला यहाँ रास्ता गाओ खरखरी से शुरू होता है । माँ मड़वारानी की कहानी :- 1. माँ मड़वारानी की कहानी बहुत ही अधभुद है और कहा जाता है की इसे उस समय के बुजुर्गो ने अपने आँखों से देखा है। ऐसा कहा जाता है की माता मड़वारानी की जब विवाह हो रही थी तो वह अपनी मंडप ( मड़वा ) को छोर कर भाग आयी थी। और जब वह रास्ते में जा रही थी तो इसी दौरान बरपाली मड़वारानी रोड पर उनके शरीर से लगी हुई हल्दी एक बहुत बड़े पत्थर पर गिर गया और वह पत्थर पीला हो गया था । उस मंडप को छोड़ने का करना गाओ और उस बड़े पत्थर, पर्वत को मड़वारानी के नाम से जाना जाने लगा । 2. एक और कहानी यह भी है की माँ मड़वारानी भगवन शिव से कांकि में मिली एवं मड़वारानी पर्वत पर आयी, माँ मड़वारानी को ही संस्कृत में मांडवी देवी के नाम से जाना जाता है । 3. यहाँ मन जाता है कुछ गाओ के लोगो ने देखा की कलमी पेड़ और उसकी पत्तिया हर नवरात्री को जवा उग जाता है और एक सांप उसके आस पास घूमता है, और वह साप आज भी कही कही दिखाई परता है । 4. ऐसा मन जाता है जी एक दूसरे कलमी पैर में मीठे पानी का स्रोत था जो हमेश बहता रहता था, पर एक दिन एक ग्रामीण पानी लेते समय अपना बर्तन खो दिया और उसने पैर को काटकर देखा पर उस अपना बर्तन नहीं मिला. कैसे पहुंचें: बाय एयर स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर से 200 किमी. | ट्रेन द्वारा कोरबा रेलवे स्टेशन से 30 किमी, एवं चाम्पा रेलवे स्टेशन से 35 किमी की दुरी पर स्थित है | सड़क के द्वारा कोरबा बस स्टैंड से 30 किमी, एवं चाम्पा बस स्टैंड से 35 किमी की दुरी पर स्थित है |
Gulshan kumar Sahu
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Madwarani Mandir is situated on the Korba-Champa Road at a distance 22 KM from district headquarter.There is a temple of Godess Madwarani at the top of the hill. The legend behind this temple is that at the season of Nawaratri, jowar was growing under Kalmi trees near the temple. During the Nawratri season(September. October) of each year there is fair celebrated by the local people.
Sada
20
This place is very natural and hindu temple of Maa Madwarani is blessing all people as just like their children and also have best picnic spot here...very fantastic place...l am a local of here...
RAM AWATAR
20
Jai maa madawaaraani 🪔 💐 ⚘ 🙏 ab road karib karib complete hy parvat uper mandir k pass market bhi ho gya hy kisi prakar se koi kami nhi hy ... Sachhi man se maangi gyi mannat bahut jaldi pura ho jata hy ...jai maa madawaaraani daai teri sadaa jaykaar ho maa ♥ jai madawaaraani maa kripa barasati rahna maa ⚘⚘🙏🙏🌷🌷🍎🍎🙏🙏
Satanandd Rathore
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Chhattisgarh Janjgir Champa se Korba road mein sthit ek Mandir madwarani Jo Mata ki kripa sabhi per barsati hai yahan per jaane ke liye aap sabhi ko Janjgir Champa se Korba road ki taraf jana padega jismein aapko Bai taraf mandir ka rasta milega main marva Rani ka naam lekar sidhiyan chadhte chaliye Jay Mata Di
KING RAVAN
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Good place to explore the nature. very crowdy place at nawratri time.
Naresh Jolhe
60
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