शेरशाह की मस्जिद, पटना सिटी बिहार
प्राचीनता की दृष्टि से पटना मे इस मसजिद का दूसरा स्थान है | इसका इतिहास करीब पांच सौ वर्ष पुराना है। बाबर की मृत्यु के बाद #शेरशाह ने सारे उत्तर भारत पर अपना अधिकार कर लिया था। तारीखे दाऊदी के अनुसार बंगाल से लौटने पर सन् 1541 ईस्वी में शेरशाह पटना आए। उस समय बिहारशरीफ़ यहां की राजधानी थी और पटना एक उपनगर था। एक बार गंगा के किनारे टहलते हुए शेरशाह ने अपने निकटस्थ व्यक्तियों को यह आज्ञा दी की यहां एक खूबसूरत किला बनवाया जाए, जिससे यह शहर देश का प्रमुख नगर बने। उन्हीं दिनों शेरशाह के कहने पर गंगा के किनारे एक मजबूत किला बना और साथ ही एक मस्जिद भी। वही किला आज "जालान का किला’ कहलाता है और मस्जिद "शेरशाह की मस्जिद’ के नाम से जानी जाती है। नगर की सारे मस्जिदों में प्राचीन होने से यह प्रसिद्ध मुस्लिम धार्मिक स्थल बन गया। पटना सिटी के हाजीगंज से दक्षिण जाने वाली सड़क पर जालान हाई स्कूल के सामने पश्चिम की ओर इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। यह अफगान वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना हूं। इसका निर्माण सूफी संत मोहम्मद मुराद शहंशाह की याद में शेरशाह ने करवाया था। कहते हैं कि मस्जिद निर्माण से पूर्व शेरशाह अक्सर यहां आते-जाते थे। इसका परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। स्थापत्य एवं आकार की दृष्टि से यह शहर का सबसे महत्वपूर्ण मुस्लिम धार्मिक स्थल हूं। भवन में बड़ी सुन्दर नक्काशी बनी हुई है और उसके बड़े-बड़े वृत्ताकार गुम्बद दूर से ही लोगों को आकर्षित करते हैं। परिसर में रंग-बिरंगे फूल पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगा रहे हैं। मस्जिद के बीच एक बड़ा गुम्बद है, जो चारों ओर से छोटे-छोटे गुम्बदों से घिरा है। ये सभी गुम्बद इस तरीके से बने हैं कि किसी भी तरफ से देखा जाए तो तीन से ज्यादा नहीं दिखाई पड़ते हैं। सबसे पहले विदेशी यात्री बेंगलर द्वारा 1872 और 1902 में इसके परिसर का निरीक्षण किया गया था। बेंगलर के अनुसार इसमें एक बड़ा केन्द्रीय हॉल है। इसके चारों ओर गैलरी है। हाल के ऊपर अर्द्धगोलाकर गुम्बद है, जो गैलरी के चारों कोनों पर स्थित है। यह ईंट से निर्मित है। मस्जिद के बीच वाले बड़े गुम्बद के नीचे शेरशाह का नाम लिखा है। इसके परिसर में बहुत-सी कब्र है। 1541 में शेरशाह के द्वारा बनवाई गयी यह मस्जिद शासन के कुछ हिस्से को आज भी दर्शाती है।
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प्राचीनता की दृष्टि से पटना मे इस मसजिद का दूसरा स्थान है | इसका इतिहास करीब पांच सौ वर्ष पुराना है। बाबर की मृत्यु के बाद #शेरशाह ने सारे उत्तर भारत पर अपना अधिकार कर लिया था। तारीखे दाऊदी के अनुसार बंगाल से लौटने पर सन् 1541 ईस्वी में शेरशाह पटना आए। उस समय बिहारशरीफ़ यहां की राजधानी थी और पटना एक उपनगर था। एक बार गंगा के किनारे टहलते हुए शेरशाह ने अपने निकटस्थ व्यक्तियों को यह आज्ञा दी की यहां एक खूबसूरत किला बनवाया जाए, जिससे यह शहर देश का प्रमुख नगर बने। उन्हीं दिनों शेरशाह के कहने पर गंगा के किनारे एक मजबूत किला बना और साथ ही एक मस्जिद भी। वही किला आज "जालान का किला’ कहलाता है और मस्जिद "शेरशाह की मस्जिद’ के नाम से जानी जाती है। नगर की सारे मस्जिदों में प्राचीन होने से यह प्रसिद्ध मुस्लिम धार्मिक स्थल बन गया। पटना सिटी के हाजीगंज से दक्षिण जाने वाली सड़क पर जालान हाई स्कूल के सामने पश्चिम की ओर इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। यह अफगान वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना हूं। इसका निर्माण सूफी संत मोहम्मद मुराद शहंशाह की याद में शेरशाह ने करवाया था। कहते हैं कि मस्जिद निर्माण से पूर्व शेरशाह अक्सर यहां आते-जाते थे। इसका परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। स्थापत्य एवं आकार की दृष्टि से यह शहर का सबसे महत्वपूर्ण मुस्लिम धार्मिक स्थल हूं। भवन में बड़ी सुन्दर नक्काशी बनी हुई है और उसके बड़े-बड़े वृत्ताकार गुम्बद दूर से ही लोगों को आकर्षित करते हैं। परिसर में रंग-बिरंगे फूल पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगा रहे हैं। मस्जिद के बीच एक बड़ा गुम्बद है, जो चारों ओर से छोटे-छोटे गुम्बदों से घिरा है। ये सभी गुम्बद इस तरीके से बने हैं कि किसी भी तरफ से देखा जाए तो तीन से ज्यादा नहीं दिखाई पड़ते हैं। सबसे पहले विदेशी यात्री बेंगलर द्वारा 1872 और 1902 में इसके परिसर का निरीक्षण किया गया था। बेंगलर के अनुसार इसमें एक बड़ा केन्द्रीय हॉल है। इसके चारों ओर गैलरी है। हाल के ऊपर अर्द्धगोलाकर गुम्बद है, जो गैलरी के चारों कोनों पर स्थित है। यह ईंट से निर्मित है। मस्जिद के बीच वाले बड़े गुम्बद के नीचे शेरशाह का नाम लिखा है। इसके परिसर में बहुत-सी कब्र है। 1541 में शेरशाह के द्वारा बनवाई गयी यह मस्जिद शासन के कुछ हिस्से को आज...
Read moreSher Shah Suri Masjid is also known as Sher Shahi is in the city of Patna. This mosque is a fine example of the Afghan style of architecture, which was built by Sher Shah Suri in memory of his supremacy. The tomb is present within the mosque complex which is covered with an octagonal stone. The main attraction of Sher Shah Suri Mosque is its central dome which is surrounded by four smaller domes. It will be called a wonder of architecture that no matter from which angle or direction the dome is seen, only three domes will be visible every time. Tourists from all over the world appreciate the beauty and inspiring architecture of...
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