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Khimaj Mata Temple — Attraction in Rajasthan

Name
Khimaj Mata Temple
Description
Nearby attractions
Kshemkari Mata Temple
Bhinmal, Rajasthan 343029, India
Nearby restaurants
The Lake view resort bhinmal
Nimboda Rd, Bhinmal, Rajasthan 343029, India
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Keywords
Khimaj Mata Temple tourism.Khimaj Mata Temple hotels.Khimaj Mata Temple bed and breakfast. flights to Khimaj Mata Temple.Khimaj Mata Temple attractions.Khimaj Mata Temple restaurants.Khimaj Mata Temple travel.Khimaj Mata Temple travel guide.Khimaj Mata Temple travel blog.Khimaj Mata Temple pictures.Khimaj Mata Temple photos.Khimaj Mata Temple travel tips.Khimaj Mata Temple maps.Khimaj Mata Temple things to do.
Khimaj Mata Temple things to do, attractions, restaurants, events info and trip planning
Khimaj Mata Temple
IndiaRajasthanKhimaj Mata Temple

Basic Info

Khimaj Mata Temple

X6WQ+9W2, Bhinmal, Rajasthan 343029, India
4.6(697)
Open 24 hours
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Cultural
Outdoor
Scenic
Adventure
Family friendly
attractions: Kshemkari Mata Temple, restaurants: The Lake view resort bhinmal
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Kshemkari Mata Temple

Kshemkari Mata Temple

Kshemkari Mata Temple

4.6

(319)

Open 24 hours
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Nearby restaurants of Khimaj Mata Temple

The Lake view resort bhinmal

The Lake view resort bhinmal

The Lake view resort bhinmal

4.6

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Reviews of Khimaj Mata Temple

4.6
(697)
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5.0
35w

Jay kuldevi maa khimaj maa bahut powerful mandir he maa khimaj mataji ka bahut ache lagta he maa ke pass jana अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- हे हिमालायराज की कन्या, विश्व को आनंद देने वाली, नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत, गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली, भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली, इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत, भगवान् नीलकंठ की पत्नी, विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती! अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

।।२।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते । त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- देवों को वरदान देने वाली, दुर्धर और दुर्मुख असुरों को मारने वाली और स्वयं में ही हर्षित (प्रसन्न) रहने वाली, तीनों लोकों का पोषण करने वाली, शंकर को संतुष्ट करने वाली, पापों को हरने वाली और घोर गर्जना करने वाली, दानवों पर क्रोध करने वाली, अहंकारियों के घमंड को सुखा देने वाली, समुद्र की पुत्री हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

🔥 Try Random Gifts 🔥

।।३।। अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते । शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते ।। मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- हे जगतमाता, मेरी माँ, प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली, हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित, मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली, महिष को विदीर्ण करने वाली,सदा युद्ध में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

।।४।। अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते । रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते ।। निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- शत्रुओं के हाथियों की सूंड काटने वाली और उनके सौ टुकड़े करने वाली, जिनका सिंह शत्रुओं के हाथियों के सर अलग अलग टुकड़े कर देता है, अपनी भुजाओं के अस्त्रों से चण्ड और मुंड के शीश काटने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

।।५।। अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते । चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते ।। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- रण में मदोंमत शत्रुओं का वध करने वाली, अजर अविनाशी शक्तियां धारण करने वाली, प्रमथनाथ (शिव) की चतुराई जानकार उन्हें अपना दूत बनाने वाली, दुर्मति और बुरे विचार वाले दानव के दूत के प्रस्ताव का अंत करने वाली, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

।।६।। अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभय दायकरे । त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शूलकरे ।। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- शरणागत शत्रुओं की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें अभयदान देने वाली, तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्यों पर प्रहार करने योग्य त्रिशूल धारण करने वाली, देवताओं की दुन्दुभी से 'दुमि दुमि' की ध्वनि को सभी दिशाओं में व्याप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।

।।७।। अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते। समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते।। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।

अर्थ- मात्र अपनी हुंकार से धूम्रलोचन राक्षस को धूम्र (धुएं) के सामान भस्म करने वाली, युद्ध में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न अन्य रक्तबीजों का रक्त पीने वाली, शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों की बली से शिव और भूत-प्रेतों को तृप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,...

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5.0
6y

It is the tample me Khimaj mata Which is also known as KHIMANJA BHAWANI. It is located in Bhinmal ,dist. Jalore, Raj., on the way to Nimboda from Bhinmal. The temple is situated at the top of a mountain , so we can reach the temple by 2 ways:-

  1. By staircase, staircase contains nearly 450 to 500.
  2. by road its is nearly 1.5km to 2km of road climbing, there is no risk on the road to climb it's wide enoughfor two trucks to pass at once. It has parking facility on the top and also in at the base the big vehicles like buses can be parked down and light vehicles like bikes and cars can be parked up the mountain. Near to the temple. The Temple also have DHARAMSHALA facility for the people come from long distance for the night stay it contains normal regestration. The place is full of peace and honesty the city Bhinmal is also a good city. Hope you visit the city and the temple for...
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1y

The Khimaj Mata Mandir, also known as the Kshemkari Mata Temple, is an ancient Hindu temple dedicated to Goddess Kshemkari, situated on a hilltop in Bhinmal, Rajasthan. The temple is believed to be centuries old, and it is associated with the Solanki Rajput clan who consider Khimaj Mata their kuldevi or family deity. Here are some other facts about the Khimaj Mata Mandir: The temple is located on a hilltop, offering panoramic views of the surrounding area. The temple complex includes a shrine dedicated to Lord Shiva. An annual fair is held at the temple during Navratri, attracting devotees from all over the country. If you're planning to visit the Khimaj Mata Mandir, here are some things to keep in mind: The temple is open from 6:00 AM to 9:30 PM. There is a moderate climb to reach the temple from the main road. Photography is allowed inside the...

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Gopal GoswamiGopal Goswami
Jay kuldevi maa khimaj maa bahut powerful mandir he maa khimaj mataji ka bahut ache lagta he maa ke pass jana अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- हे हिमालायराज की कन्या, विश्व को आनंद देने वाली, नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत, गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली, भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली, इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत, भगवान् नीलकंठ की पत्नी, विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती! अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। ।।२।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते । त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- देवों को वरदान देने वाली, दुर्धर और दुर्मुख असुरों को मारने वाली और स्वयं में ही हर्षित (प्रसन्न) रहने वाली, तीनों लोकों का पोषण करने वाली, शंकर को संतुष्ट करने वाली, पापों को हरने वाली और घोर गर्जना करने वाली, दानवों पर क्रोध करने वाली, अहंकारियों के घमंड को सुखा देने वाली, समुद्र की पुत्री हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। 🔥 Try Random Gifts 🔥 ।।३।। अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते । शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते ।। मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- हे जगतमाता, मेरी माँ, प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली, हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित, मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली, महिष को विदीर्ण करने वाली,सदा युद्ध में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। ।।४।। अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते । रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते ।। निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- शत्रुओं के हाथियों की सूंड काटने वाली और उनके सौ टुकड़े करने वाली, जिनका सिंह शत्रुओं के हाथियों के सर अलग अलग टुकड़े कर देता है, अपनी भुजाओं के अस्त्रों से चण्ड और मुंड के शीश काटने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। ।।५।। अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते । चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते ।। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- रण में मदोंमत शत्रुओं का वध करने वाली, अजर अविनाशी शक्तियां धारण करने वाली, प्रमथनाथ (शिव) की चतुराई जानकार उन्हें अपना दूत बनाने वाली, दुर्मति और बुरे विचार वाले दानव के दूत के प्रस्ताव का अंत करने वाली, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। ।।६।। अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभय दायकरे । त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शूलकरे ।। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- शरणागत शत्रुओं की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें अभयदान देने वाली, तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्यों पर प्रहार करने योग्य त्रिशूल धारण करने वाली, देवताओं की दुन्दुभी से 'दुमि दुमि' की ध्वनि को सभी दिशाओं में व्याप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो। ।।७।। अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते। समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते।। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ- मात्र अपनी हुंकार से धूम्रलोचन राक्षस को धूम्र (धुएं) के सामान भस्म करने वाली, युद्ध में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न अन्य रक्तबीजों का रक्त पीने वाली, शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों की बली से शिव और भूत-प्रेतों को तृप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
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The Khimaj Mata Mandir, also known as the Kshemkari Mata Temple, is an ancient Hindu temple dedicated to Goddess Kshemkari, situated on a hilltop in Bhinmal, Rajasthan. The temple is believed to be centuries old, and it is associated with the Solanki Rajput clan who consider Khimaj Mata their kuldevi or family deity. Here are some other facts about the Khimaj Mata Mandir: * The temple is located on a hilltop, offering panoramic views of the surrounding area. * The temple complex includes a shrine dedicated to Lord Shiva. * An annual fair is held at the temple during Navratri, attracting devotees from all over the country. If you're planning to visit the Khimaj Mata Mandir, here are some things to keep in mind: * The temple is open from 6:00 AM to 9:30 PM. * There is a moderate climb to reach the temple from the main road. * Photography is allowed inside the temple complex.
Bhagirath K PatelBhagirath K Patel
क्षेमकरी माता मंदिर  देवी क्षेमकरी का एक पुराना मंदिर है, जिसे खीमज माता  के नाम से भी जाना जाता है, जो राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल में एक पहाड़ पर स्थित है । यह सुंधा माता मंदिर से 25 किमी दूर है । खीमज माता सोलंकी राजपूतों की कुलदेवी थीं। ऐसा माना जाता है कि कश्मीर के प्रतिहार शासक जगधाम या जगा कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। तीर्थयात्रा के दौरान उन्हें श्रीमाल पाटन (अब भीनमाल) लाया गया। जब वे भीनमाल के दक्षिण में स्थित नागा बाबा के बगीचे में विश्राम कर रहे थे, तब एक कुत्ता नागा बाबा के बगीचे में नदी की कीचड़ में लोट रहा था, राजा के पास गया और कूद गया। इससे गीली मिट्टी के कुछ कण राजा के पैरों पर गिरे और उन्होंने देखा कि जहां भी मिट्टी गिरी, वह स्थान कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया। उस समय राजा को उस कुएं की कीचड़ में स्नान कराया गया, तब राजा को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली और उनका शरीर मजबूत हो गया। उस समय प्रतिहार के शासक जगा को भीनमाल का शासक स्वीकार किया गया। तभी से माता क्षेमंकरी प्रतिहारों की कुलदेवी बन गईं। राजा जगा ने तालाब की मरम्मत कराई और एक विशाल और मजबूत नगर की दीवार का निर्माण कराया। 12वीं शताब्दी में देवड़ा चौहानों ने प्रतिहारों को हराकर भगा दिया, जिसके बाद भीनमाल में केवल चौहान शासक ही बचे।
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The Khimaj Mata Mandir, also known as the Kshemkari Mata Temple, is an ancient Hindu temple dedicated to Goddess Kshemkari, situated on a hilltop in Bhinmal, Rajasthan. The temple is believed to be centuries old, and it is associated with the Solanki Rajput clan who consider Khimaj Mata their kuldevi or family deity. Here are some other facts about the Khimaj Mata Mandir: * The temple is located on a hilltop, offering panoramic views of the surrounding area. * The temple complex includes a shrine dedicated to Lord Shiva. * An annual fair is held at the temple during Navratri, attracting devotees from all over the country. If you're planning to visit the Khimaj Mata Mandir, here are some things to keep in mind: * The temple is open from 6:00 AM to 9:30 PM. * There is a moderate climb to reach the temple from the main road. * Photography is allowed inside the temple complex.
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क्षेमकरी माता मंदिर  देवी क्षेमकरी का एक पुराना मंदिर है, जिसे खीमज माता  के नाम से भी जाना जाता है, जो राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल में एक पहाड़ पर स्थित है । यह सुंधा माता मंदिर से 25 किमी दूर है । खीमज माता सोलंकी राजपूतों की कुलदेवी थीं। ऐसा माना जाता है कि कश्मीर के प्रतिहार शासक जगधाम या जगा कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। तीर्थयात्रा के दौरान उन्हें श्रीमाल पाटन (अब भीनमाल) लाया गया। जब वे भीनमाल के दक्षिण में स्थित नागा बाबा के बगीचे में विश्राम कर रहे थे, तब एक कुत्ता नागा बाबा के बगीचे में नदी की कीचड़ में लोट रहा था, राजा के पास गया और कूद गया। इससे गीली मिट्टी के कुछ कण राजा के पैरों पर गिरे और उन्होंने देखा कि जहां भी मिट्टी गिरी, वह स्थान कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया। उस समय राजा को उस कुएं की कीचड़ में स्नान कराया गया, तब राजा को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली और उनका शरीर मजबूत हो गया। उस समय प्रतिहार के शासक जगा को भीनमाल का शासक स्वीकार किया गया। तभी से माता क्षेमंकरी प्रतिहारों की कुलदेवी बन गईं। राजा जगा ने तालाब की मरम्मत कराई और एक विशाल और मजबूत नगर की दीवार का निर्माण कराया। 12वीं शताब्दी में देवड़ा चौहानों ने प्रतिहारों को हराकर भगा दिया, जिसके बाद भीनमाल में केवल चौहान शासक ही बचे।
Bhagirath K Patel

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