Jay kuldevi maa khimaj maa bahut powerful mandir he maa khimaj mataji ka bahut ache lagta he maa ke pass jana अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- हे हिमालायराज की कन्या, विश्व को आनंद देने वाली, नंदी गणों के द्वारा नमस्कृत, गिरिवर विन्ध्याचल के शिरो (शिखर) पर निवास करने वाली, भगवान् विष्णु को प्रसन्न करने वाली, इन्द्रदेव के द्वारा नमस्कृत, भगवान् नीलकंठ की पत्नी, विश्व में विशाल कुटुंब वाली और विश्व को संपन्नता देने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवती! अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
।।२।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते । त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणी सिन्धुसुते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- देवों को वरदान देने वाली, दुर्धर और दुर्मुख असुरों को मारने वाली और स्वयं में ही हर्षित (प्रसन्न) रहने वाली, तीनों लोकों का पोषण करने वाली, शंकर को संतुष्ट करने वाली, पापों को हरने वाली और घोर गर्जना करने वाली, दानवों पर क्रोध करने वाली, अहंकारियों के घमंड को सुखा देने वाली, समुद्र की पुत्री हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
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।।३।। अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते । शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते ।। मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- हे जगतमाता, मेरी माँ, प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली, हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित, मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली, महिष को विदीर्ण करने वाली,सदा युद्ध में लिप्त रहने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
।।४।। अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते । रिपु गजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रम शुण्ड मृगाधिपते ।। निजभुज दण्ड निपतित खण्ड विपातित मुंड भटाधिपते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- शत्रुओं के हाथियों की सूंड काटने वाली और उनके सौ टुकड़े करने वाली, जिनका सिंह शत्रुओं के हाथियों के सर अलग अलग टुकड़े कर देता है, अपनी भुजाओं के अस्त्रों से चण्ड और मुंड के शीश काटने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
।।५।। अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते । चतुरविचारधुरीणमहाशिव दूतकृत प्रथमाधिपते ।। दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदूत कृतान्तमते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- रण में मदोंमत शत्रुओं का वध करने वाली, अजर अविनाशी शक्तियां धारण करने वाली, प्रमथनाथ (शिव) की चतुराई जानकार उन्हें अपना दूत बनाने वाली, दुर्मति और बुरे विचार वाले दानव के दूत के प्रस्ताव का अंत करने वाली, हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
।।६।। अयि शरणागत वैरिवधूवर वीरवराभय दायकरे । त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शूलकरे ।। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- शरणागत शत्रुओं की पत्नियों के आग्रह पर उन्हें अभयदान देने वाली, तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्यों पर प्रहार करने योग्य त्रिशूल धारण करने वाली, देवताओं की दुन्दुभी से 'दुमि दुमि' की ध्वनि को सभी दिशाओं में व्याप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो, जय हो, जय हो।
।।७।। अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते। समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते।। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।
अर्थ- मात्र अपनी हुंकार से धूम्रलोचन राक्षस को धूम्र (धुएं) के सामान भस्म करने वाली, युद्ध में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न अन्य रक्तबीजों का रक्त पीने वाली, शुम्भ और निशुम्भ दैत्यों की बली से शिव और भूत-प्रेतों को तृप्त करने वाली हे महिषासुर का मर्दन करने वाली अपने बालों की लता से आकर्षित करने वाली पर्वत की पुत्री तुम्हारी जय हो,...
Read moreIt is the tample me Khimaj mata Which is also known as KHIMANJA BHAWANI. It is located in Bhinmal ,dist. Jalore, Raj., on the way to Nimboda from Bhinmal. The temple is situated at the top of a mountain , so we can reach the temple by 2 ways:-
The Khimaj Mata Mandir, also known as the Kshemkari Mata Temple, is an ancient Hindu temple dedicated to Goddess Kshemkari, situated on a hilltop in Bhinmal, Rajasthan. The temple is believed to be centuries old, and it is associated with the Solanki Rajput clan who consider Khimaj Mata their kuldevi or family deity. Here are some other facts about the Khimaj Mata Mandir: The temple is located on a hilltop, offering panoramic views of the surrounding area. The temple complex includes a shrine dedicated to Lord Shiva. An annual fair is held at the temple during Navratri, attracting devotees from all over the country. If you're planning to visit the Khimaj Mata Mandir, here are some things to keep in mind: The temple is open from 6:00 AM to 9:30 PM. There is a moderate climb to reach the temple from the main road. Photography is allowed inside the...
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