मधुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान कृष्णं और वल्लाभ संप्रदाय जो कि कृष्ण जी के अनुयायी को समर्पित है। तथा कोटा रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है
वल्लभ के सप्त उपपीठों में प्रथम स्थान कोटा के मथुरेश जी का है | कोटा के पाटनपोल में भगवान मथुराधीश जी का मंदिर है , इसी कारण यह नगर वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है | मंदिर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र की स्थिति श्री नाथद्वारा की तरह प्रतीत होती है | हालाँकि मंदिर श्रीनाथद्वारा जितना विशाल नहीं है |
वल्लभ सम्प्रदाय का प्रधान पीठ होने के कारण वर्ष भर इस सम्प्रदाय के धर्मावलंबी यहाँ आते रहते है | यहाँ मथुरेश जी की सेवा वल्लभ सम्प्रदाय की परम्परा के अनुरूप की जाती है | और वर्ष भर इस सम्प्रदाय के अनुसार उत्सवों का आयोजन होता है | यहाँ आयोजित प्रमुख उत्सवों में कृष्णजन्माष्टमी, नन्दमहोत्सव, अन्नकूट तथा होली का उत्सव प्रमुख है |
प्रधानपीठ मथुरेश जी की स्थिति कोटा में होने के कारण वल्लभ सम्प्रदाय के लोगों के इसके प्रति श्रीनाथद्वारा राजसमंद के समान ही श्रद्धा है | श्री मथुराधीश प्रभु का प्राकट्य मथुरा जिले के ग्राम करणावल में फाल्गुन शुक्ल एकादशी संवत 1559 विक्रमी के दिन संध्या के समय हुआ था | उस समय श्री वल्लभाचार्य जी यमुना नदी के किनारे संध्या के समय संध्योवासन कर रहे थे |
तभी यमुना का एक किनारा टूटा और उसमें से सात ताड़ के वृक्षों की लम्बाई का एक चतुर्भुज स्वरुप प्रकट हुआ | महाप्रभु जी ने उस स्वरुप के दर्शन कर विनती की कि इतने बड़े स्वरुप की सेवा कैसे होगी | इतने में 27 अंगुल मात्र के होकर श्री भगवान मथुरेश जी, वल्लभाचार्य जी की गोद में विराज गये इसके पश्चात् भगवन मथुरेश जी के उस स्वरुप को वल्लभाचार्य जी ने एक शिष्य श्री पद्यनाभ दास जी को सेवा करने हेतु दे दिया |
कुछ वर्षों तक सेवा करने के पश्चात् वृद्धावस्था होने के कारण श्री मथुराधीश जी को पद्यनाभ दास जी ने श्री वल्लभाचार्य जी के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ जी को पधरा दिया | श्री विट्ठलनाथ जी के सात पुत्र थे | उनमें ज्येष्ठ पुत्र श्री गिरधर जी को श्री मथुराधीश प्रभु को...
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Mathuradheesh ji Mandir Kota | मधुराधीश मंदिर 2024

मधुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान कृष्णं और वल्लाभ संप्रदाय जो कि कृष्ण जी के अनुयायी को समर्पित है। तथा कोटा रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है
वल्लभ के सप्त उपपीठों में प्रथम स्थान कोटा के मथुरेश जी का है | कोटा के पाटनपोल में भगवान मथुराधीश जी का मंदिर है , इसी कारण यह नगर वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है | मंदिर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र की स्थिति श्री नाथद्वारा की तरह प्रतीत होती है | हालाँकि मंदिर श्रीनाथद्वारा जितना विशाल नहीं है |
वल्लभ सम्प्रदाय का प्रधान पीठ होने के कारण वर्ष भर इस सम्प्रदाय के धर्मावलंबी यहाँ आते रहते है | यहाँ मथुरेश जी की सेवा वल्लभ सम्प्रदाय की परम्परा के अनुरूप की जाती है | और वर्ष भर इस सम्प्रदाय के अनुसार उत्सवों का आयोजन होता है | यहाँ आयोजित प्रमुख उत्सवों में कृष्णजन्माष्टमी, नन्दमहोत्सव, अन्नकूट तथा होली का उत्सव प्रमुख है |
प्रधानपीठ मथुरेश जी की स्थिति कोटा में होने के कारण वल्लभ सम्प्रदाय के लोगों के इसके प्रति श्रीनाथद्वारा राजसमंद के समान ही श्रद्धा है | श्री मथुराधीश प्रभु का प्राकट्य मथुरा जिले के ग्राम करणावल में फाल्गुन शुक्ल एकादशी संवत 1559 विक्रमी के दिन संध्या के समय हुआ था | उस समय श्री वल्लभाचार्य जी यमुना नदी के किनारे संध्या के समय संध्योवासन कर रहे थे |
तभी यमुना का एक किनारा टूटा और उसमें से सात ताड़ के वृक्षों की लम्बाई का एक चतुर्भुज स्वरुप प्रकट हुआ | महाप्रभु जी ने उस स्वरुप के दर्शन कर विनती की कि इतने बड़े स्वरुप की सेवा कैसे होगी | इतने में 27 अंगुल मात्र के होकर श्री भगवान मथुरेश जी, वल्लभाचार्य जी की गोद में विराज गये इसके पश्चात् भगवन मथुरेश जी के उस स्वरुप को वल्लभाचार्य जी ने एक शिष्य श्री पद्यनाभ दास जी को सेवा करने...
Read moreMATHURADHEESH MANDIR
The Mathuradheesh Temple in Kota belongs to Pushti Marg, a Vaishnava sect founded by Shri Vallabhacharyaji. The idol of Krishna housed here was brought from the Karnaval village (near Mathura) and placed in the haveli of Dewan Dwarka Das. It now forms a major attraction for devotees of Lord Krishna. The festivals of Janmashtami, Nand Mahotsav, Annakoota and Holi are celebrated with great...
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