HTML SitemapExplore
logo
Find Things to DoFind The Best Restaurants

Kali Bahan Mandir Etawah — Attraction in Uttar Pradesh

Name
Kali Bahan Mandir Etawah
Description
Nearby attractions
Tixi Temple
Q276+QFC, Gwalior Road, Lalpura, Etawah, Uttar Pradesh 206001, India
Neelkanth Mahadev Mandir
Q28C+4G7, Lalpura, Etawah, Uttar Pradesh 206001, India
Nearby restaurants
Nearby hotels
Related posts
Keywords
Kali Bahan Mandir Etawah tourism.Kali Bahan Mandir Etawah hotels.Kali Bahan Mandir Etawah bed and breakfast. flights to Kali Bahan Mandir Etawah.Kali Bahan Mandir Etawah attractions.Kali Bahan Mandir Etawah restaurants.Kali Bahan Mandir Etawah travel.Kali Bahan Mandir Etawah travel guide.Kali Bahan Mandir Etawah travel blog.Kali Bahan Mandir Etawah pictures.Kali Bahan Mandir Etawah photos.Kali Bahan Mandir Etawah travel tips.Kali Bahan Mandir Etawah maps.Kali Bahan Mandir Etawah things to do.
Kali Bahan Mandir Etawah things to do, attractions, restaurants, events info and trip planning
Kali Bahan Mandir Etawah
IndiaUttar PradeshKali Bahan Mandir Etawah

Basic Info

Kali Bahan Mandir Etawah

Bah Adda Karan pura, near by tixy Tample, Etawah, Uttar Pradesh 206001, India
4.7(279)
Open until 12:00 AM
Save
spot

Ratings & Description

Info

Cultural
Family friendly
attractions: Tixi Temple, Neelkanth Mahadev Mandir, restaurants:
logoLearn more insights from Wanderboat AI.
Open hoursSee all hours
ThuOpen 24 hoursOpen

Plan your stay

hotel
Pet-friendly Hotels in Uttar Pradesh
Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.
hotel
Affordable Hotels in Uttar Pradesh
Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.
hotel
The Coolest Hotels You Haven't Heard Of (Yet)
Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.
hotel
Trending Stays Worth the Hype in Uttar Pradesh
Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.

Reviews

Nearby attractions of Kali Bahan Mandir Etawah

Tixi Temple

Neelkanth Mahadev Mandir

Tixi Temple

Tixi Temple

4.6

(288)

Closed
Click for details
Neelkanth Mahadev Mandir

Neelkanth Mahadev Mandir

4.7

(162)

Open 24 hours
Click for details
Get the Appoverlay
Get the AppOne tap to find yournext favorite spots!
Wanderboat LogoWanderboat

Your everyday Al companion for getaway ideas

CompanyAbout Us
InformationAI Trip PlannerSitemap
SocialXInstagramTiktokLinkedin
LegalTerms of ServicePrivacy Policy

Get the app

© 2025 Wanderboat. All rights reserved.
logo

Posts

Vi-Vek YadavVi-Vek Yadav
Etawah's most famous temple, It is a huge temple, there is an entry gate, in front of it is the main temple and on the left hand there is the temple of Bajrangbali and on the right hand there is the Ram temple, and on the small hill there is the Kalabhairav ​​temple. Calm and peaceful place🙏
Pranjul KushwahaPranjul Kushwaha
This temple is belongs to Goddess Kali. This is considered as SHAKTI Peeth. This temple is situated at Etawah -Bhind Highway near MP border. In Navratra festival, This temple becomes too much crowded. A nice temple----worth visit.
rahul kushwah (Passion of fire)rahul kushwah (Passion of fire)
इटावा शहर का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर शक्ति पीठ काली वाह मंदिर जहाँ बहुत दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिये आते है और अपनी मानो कामनाये पूर्ण फल पाते है नवरात्री में यहां बहुत ही भव्य मेला लगता है और लाखों की संख्या में भीड़ होती है बैसे मंदिर हमेसा खुला रहता है आप कभी भी यहां आ सकते है इटावा स्टेशन और बस स्टैंड दोनों ही जगह से आपको ऑटो मिल जाते है.
See more posts
See more posts
hotel
Find your stay

Pet-friendly Hotels in Uttar Pradesh

Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.

Etawah's most famous temple, It is a huge temple, there is an entry gate, in front of it is the main temple and on the left hand there is the temple of Bajrangbali and on the right hand there is the Ram temple, and on the small hill there is the Kalabhairav ​​temple. Calm and peaceful place🙏
Vi-Vek Yadav

Vi-Vek Yadav

hotel
Find your stay

Affordable Hotels in Uttar Pradesh

Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.

Get the Appoverlay
Get the AppOne tap to find yournext favorite spots!
This temple is belongs to Goddess Kali. This is considered as SHAKTI Peeth. This temple is situated at Etawah -Bhind Highway near MP border. In Navratra festival, This temple becomes too much crowded. A nice temple----worth visit.
Pranjul Kushwaha

Pranjul Kushwaha

hotel
Find your stay

The Coolest Hotels You Haven't Heard Of (Yet)

Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.

hotel
Find your stay

Trending Stays Worth the Hype in Uttar Pradesh

Find a cozy hotel nearby and make it a full experience.

इटावा शहर का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर शक्ति पीठ काली वाह मंदिर जहाँ बहुत दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिये आते है और अपनी मानो कामनाये पूर्ण फल पाते है नवरात्री में यहां बहुत ही भव्य मेला लगता है और लाखों की संख्या में भीड़ होती है बैसे मंदिर हमेसा खुला रहता है आप कभी भी यहां आ सकते है इटावा स्टेशन और बस स्टैंड दोनों ही जगह से आपको ऑटो मिल जाते है.
rahul kushwah (Passion of fire)

rahul kushwah (Passion of fire)

See more posts
See more posts

Reviews of Kali Bahan Mandir Etawah

4.7
(279)
avatar
5.0
2y

डिवाइन.उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे यमुना नदी के किनारे मां काली का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे मान्यता है कि यहां महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा आकर सबसे पहले पूजा करता है। इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खासा महत्व हो जाता है जहां अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि काली वाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वे करीब 44 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात के अंधेरे में जब मंदिर को साफ कर दिया जाता है। तड़के गर्भगृह खोला जाता है।

उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कोई अद्दश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं। के.के.पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा ने बुधवार को यूनीवार्ता से कहा कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं। कभी चंबल के खूखांर डाकुओ की आस्था का केंद्र रहे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर से डाकुओं से इतना लगाव रहा है कि वो अपने गैंग के डाकुओं के साथ आकर पूजा अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुये लेकिन इस बात की पुष्टि तब हुई जब मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे चढ़े हुये देखे गये. उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के तट पर मां काली का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर के बारे में मान्यता प्रचलित है कि यह महाभारत के कालीन सभ्यता से जुड़ा हुआ है। इस के बारे में जनश्रुति अनुसार इसमें महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा अदृश्य रूप में आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खास महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। इटावा के गजेटियर में इसे काली भवन का नाम दिया गया है। यमुना के तट के निकट स्थित यह मंदिर देवी भक्तों का प्रमुख केन्द्र है। इष्टम अर्थात शैव क्षेत्र होने के कारण इटावा में शिव मंदिरों के साथ दुर्गा के मंदिर भी बड़ी सख्या में हैं। महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की प्रतिमायें हैं। इस मंदिर में स्थित मूर्ति शिल्प 10वीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य का है। वर्तमान मंदिर का निर्माण बीसवीं शताब्दी की देन है। मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां हैं- महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती। महाकाली का पूजन शक्ति धर्म के आरंभिक रूवरूप की देन है। मार्कण्डेय पुराण एवं अन्य पौराणिक कथानकों के अनुसार दुर्गा जी प्रारम्भ में काली थी। एक बार वे भगवान शिव के साथ आलिगंनबद्ध थीं, तो शिवजी ने परिहास करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे श्वेत चंदन वृक्ष में काली नागिन लिपटी हुई हो। पार्वती जी को क्रोध आ गया और उन्होंने तपस्या के द्वारा गौर वर्ण प्राप्त किया। मंदिर परिसर में एक मठिया में शिव दुर्गा एवं उनके परिवार की भी प्रतिष्ठा है। मठिया के बाहर के बरामदे का निर्माण न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त के पूर्वजों ने किया है। महाभारत में उल्लेख है कि दुर्गाजी ने जब महिषासुर तथा शुम्भ-निशुम्भ का वध कर दिया, तो उन्हें काली, कराली, काल्यानी आदि नामों से भी पुकारा जाने लगा।

काली वाहन मंदिर काफी पहले से सिनेमाई निर्देशकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है। निर्माता निर्देशक कृष्णा मिश्रा की फिल्म बीहड़ की भी फिल्म का कुछ हिस्सा इस मंदिर में फिल्माया गया है। बीहड़ नामक यह फिल्म 1978 से 2005 के मध्य चंबल घाटी में सक्रिय रहे डाकुओं की जिंदगी पर बनी है। यमुना नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक काली वाहन मंदिर के स्वामित्त्व को लेकर अदालत ने फैसला सुनाया हुआ है। लंबी अदालती लड़ाई के बाद काली वाहन मंदिर अब सार्वजनिक मंदिर ना हो कर निजी मंदिर के दायरे मे आ चुका है। मंदिर के पूर्व पुजारी शंकर गिरी के बेटो को मंदिर को अदालत के आदेशों के बाद सौंपा जा चुका है। करीब 22 साल पहले शंकर गिरी के साथ मे पूजा करने वाले सुशील चंद्र गोस्वामी ने नई कमेटी का गठन करके 1997 मे अदालत में दावा कर इस मंदिर पर अपना हक जताया लेकिन अदालत ने केस की सुनवाई के दौरान एक रिसीवर को तैनात कर दिया। उसके बाद लगातार अदालत में सुनवाई होती रही। गवाहो सबूतो और सरकारी वकीलों के जिरह के बाद अपर जिला जज ने काली वाहन मंदिर को निजी संपति मानते हुए शंकर गिरी के बेटे रविंद्र गिरी और विजय गिरी को सौंप दिया। जो वाकायदा अब मंदिर का संचालन करने में...

   Read more
avatar
5.0
3y

One of the Ancient temples of India .

इटावा. इटावा में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे मान्यता है कि यहां महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खासा महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। काली वाहन मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि काली वाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। वे करीब 42 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात के अंधेरे में जब मंदिर को साफ कर दिया जाता है। तड़के गर्भगृह खोला जाता है। उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कोई अदृश्य रूप में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वश्थामा मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं।

इस मंदिर की महत्ता के बारे मे के.के.पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं। कभी चंबल के खूखांर डाकुओ की आस्था का केंद्र रहे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर से डाकुओं से इतना लगाव रहा है कि वो अपने गैंग के डाकुओं के साथ आकर पूजा अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुये लेकिन इस बात की पुष्टि तब हुई जब मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे चढ़े हुये देखे गये।

इटावा के गजेटियर में इसे काली भवन का नाम दिया गया है। यमुना के तट के निकट स्थित यह मंदिर देवी भक्तों का प्रमुख केन्द्र है। इष्टम अर्थात शैव क्षेत्र होने के कारण इटावा में शिव मंदिरों के साथ दुर्गा के मंदिर भी बड़ी सख्या में हैं। महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की प्रतिमायें हैं। इस मंदिर में स्थित मूर्ति शिल्प 10वीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य का है। वर्तमान मंदिर का निर्माण बीसवीं शताब्दी की देन है। मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां हैं- महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती। महाकाली का पूजन शक्ति धर्म के आरंभिक रूवरूप की देन है। मार्कण्डेय पुराण एवं अन्य पौराणिक कथानकों के अनुसार दुर्गा जी प्रारम्भ में काली थी। एक बार वे भगवान शिव के साथ आलिगंनबद्ध थीं, तो शिवजी ने परिहास करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे श्वेत चंदन वृक्ष में काली नागिन लिपटी हुई हो। पार्वती जी को क्रोध आ गया और उन्होंने तपस्या के द्वारा गौर वर्ण प्राप्त किया। मंदिर परिसर में एक मठिया में शिव दुर्गा एवं उनके परिवार की भी प्रतिष्ठा है। मठिया के बाहर के बरामदे का निर्माण न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त के पूर्वजों ने किया है। महाभारत में उल्लेख है कि दुर्गाजी ने जब महिषासुर तथा शुम्भ-निशुम्भ का वध कर दिया, तो उन्हें काली, कराली, काल्यानी आदि नामों से भी पुकारा जाने लगा।

काली वाहन मंदिर काफी पहले से सिनेमाई निर्देशकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है। निर्माता निर्देशक कृष्णा मिश्रा की फिल्म बीहड़ की भी फिल्म का कुछ हिस्सा इस मंदिर में फिल्माया गया है। बीहड़ नामक यह फिल्म 1978 से 2005 के मध्य चंबल घाटी में सक्रिय रहे डाकुओं की जिंदगी पर बनी है। यमुना नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक काली वाहन मंदिर के स्वामित्त्व को लेकर अदालत ने फैसला सुनाया हुआ है। लंबी अदालती लड़ाई के बाद काली वाहन मंदिर अब सार्वजनिक मंदिर ना हो कर निजी मंदिर के दायरे मे आ चुका है। मंदिर के पूर्व पुजारी शंकर गिरी के बेटो को मंदिर को अदालत के आदेशों के बाद सौंपा जा चुका है। करीब 22 साल पहले शंकर गिरी के साथ मे पूजा करने वाले सुशील चंद्र गोस्वामी ने नई कमेटी का गठन करके 1997 मे अदालत में दावा कर इस मंदिर पर अपना हक जताया लेकिन अदालत ने केस की सुनवाई के दौरान एक रिसीवर को तैनात कर दिया। उसके बाद लगातार अदालत में सुनवाई होती रही। गवाहो सबूतो और सरकारी वकीलों के जिरह के बाद अपर जिला जज ने काली वाहन मंदिर को निजी संपति मानते हुए शंकर गिरी के बेटे रविंद्र गिरी और विजय गिरी को सौंप दिया। जो वाकायदा अब मंदिर का संचालन करने में जुटे हुए है। इस मंदिर को सरसव्य करने के लिए उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के अलावा स्थानीय नगर पालिका परिषद की ओर से कई ऐसी योजनाए चलाई गई है जिसके धन के प्रयोग से मंदिर को नया और बेहतर रूप मिला हुआ है। दूरस्थ बैठ मां काली के भक्तों को मंदिर का यह रूप...

   Read more
avatar
5.0
8y

Very devotional temple of maa kali. This is a sidhpeeth .on occasion of novratra Thousands of people come here To full fill their wishes.its has beautiful location and peaceful environment here .At the out of etawah city gwalior bypass road has a calm and silent environment for the warship. When you come here and your said stay here for one or two hours. You feel very silent here .in the session of navratri all the way for this temple became very devotion. You can fully involve in stream of bhakti Maa durga.thousand of people college here with dancing on the song of Maa bhakti.you should enjoy this...

   Read more
Page 1 of 7
Previous
Next