Mahakaushal Art Gallery, Raipur, is a major art center in Chhattisgarh, established with the aim of showcasing the talent and creativity of regional artists. This gallery provides a platform for painting, sculpture, photography and other artistic genres. Art exhibitions, workshops and cultural programs are organized here from time to time, in which local as well as artists from all over the country participate. Mahakaushal Art Gallery is not only a source of inspiration for art lovers, but it also serves to connect the new generation with various forms of art. The works displayed in its calm and creative building beautifully reflect the culture, nature and social life of Chhattisgarh. This place is considered an important center of cultural and artistic...
Read moreऐसा हेरिटेज जो घड़ी चौक की चमक देखता है, और खुद अंधेरे में रहता है।
आप इतिहास की कहानियां ढूढ़ते हुए, 150 साल पुरानी आर्ट गैलरी जाते है। भवन के अंदर एक व्यक्ति अपनी ड्यूटी पर है, जो 35 सालों से उस आर्ट गैलरी की देखभाल कर रहे है। आप उससे आर्ट गैलरी के बारे में पूछना शुरू करते है, तो जवाब मिलता है “आप इंटरनेट पर जाकर पढ़ लीजिये, वहां सब मिल जाएगा”.
हमने कहा, जब हम खुद यहां आये है और आप यहां का संचालन कर रहे है, तो सवाल भी आपसे ही करेंगे। अब आप बताइए यहां का इतिहास। इस पर चिड़चिड़ाते हुए वे कहते है - “मुझे ज़्यादा कुछ नही पता, न इस आर्ट गैलरी के बनने का समय न इससे जुड़ी कोई कहानी। पता है तो बस इतना की राजनंदगांव के राजा घासीदास ने इसे बनवाया था।” अब आप सोच सकते है किस हाल में है शहर की सबसे पुरानी आर्ट गैलरी।
आर्ट गैलरी के अंदर जाने पर हम देखते है, आधे से ज़्यादा हिस्सा तो कबाड़ से भरा हुआ है। वहीं बची हुई जगह का कला प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। नीचे एक हरी कारपेट बिछी है जो शादियों में मैदान ढकने के काम आती है, वो वाली कारपेट। आर्ट गैलरी की आकृति अष्टकोन है यानी octagonal. जिससे गैलरी के अन्दर गोल आकार में रूट बनता है। आप वहां पूरा चक्कर लगा सकते है पर उसी रूट का आधा भाग कबाड़ से भर दिया गया है। वहीँ सर्किल के बीचों-बीच एक ओर गोल आकार में कमरा बनाया गया है। जो उस समय हमने बंद पाया, उसके बारे में जानने के लिए जब हमने संचालक से पूछा, तो जवाब आया की वहां महाकोसल कला वीथिका की परमानेंट आर्ट रखी गई है। जबकी हम पहले ही उस कमरे की सच्चाई देख चुके थे। उस बंद कमरे का हाल भी कुछ बहार के रूट जैसा ही था। सच कहें तो उससे भी बुरा था। यकीन नहीं हो रहा तो आप भी गैलरी के छत पर जा कर उसकी टूटी हुई खिडकियों से उस बंद कमरे का हाल देख सकते है।
एक तरफ सरकार हेरिटेज वाक की शुरुआत कर लोगों को शहर की ऐतिहासिक जगहों से रूबरू करवा रही है। वहीँ दूसरी तरफ एक ऐतिहासिक इमारत में जाने पर हमें इंटरनेट से इतिहास जानने की सलाह दी जा रही है।
घड़ी चौक से मोतीबाग जाने वाले रास्ते में यह आर्ट गैलरी स्थित है। राजनांदगांव रियासत के महंत घासीदास ने इसे सन 1875 में बनाया था। यह महंत घासीदास वही है जिनके नाम पर घासीदास संग्रहालय है। जिसके बाद 1965 से महाकोसल कला वीथिका इस आर्ट गैलरी का संचालन कर रही है।
हम गए तो थे इस आर्ट गैलरी के इतिहास को और करीब से जानने, जिससे हम सुना पाए आपको इस इमारत की कहानी। कहानी तो नहीं मिली पर जाना ये की क्यों छुपा हुआ है इस आर्ट गैलरी का इतिहास। शायद यही वजह है की हमारे शहर के ऐतिहासिक जगहों की कहानियों से लोग क्यों दूर है।
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Read moreA rare heritage property is this Mahakoshal art Gallery. This art gallery showcases all the artwork of the local people, the building also hosts a number of art exhibitions.
Highlights – The limelight of the art gallery is that the gallery is in the octagon shape and hence is a centre of attraction for tourists visiting Raipur. It is reviewed that this gallery itself is a piece of art to be explored. The visitors after exploring this white stone gallery can go down to nearby places like Shaheed Smarak complex, Bastar, Arang, Gandhi Udyan...
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