टिप्पणी - 1/2
जोधपुर पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा शहर होने के साथ देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान का जयपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है। जोधपुर शहर अपनी विरासत और ऐतिहासिक महत्व से अपनी पहचान रखता है। जोधपुर का पर्यटन और धार्मिक महत्व है।
मसूरिया पहाड़ी जोधपुर शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर शिरोमणि वीर दुर्गा दास की अश्वारोही मूर्ति विद्यमान है। पहाड़ी पर 20 सदी का एक ऊंचा टीवी टॉवर बना हुआ होने के साथ एक हिल गार्डन (पार्क) भी है। मसूरिया पहाड़ी बाबा रामदेव को समर्पित पहाड़ी है, जो धार्मिक रुप से अपना महत्व रखती है।
*बाबा रामदेव मंदिर, मसूरिया -
जोधपुर शहर के बीचोबीच, जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर (सड़क मार्ग से) दूर पश्चिम में एक पहाड़ी पर बाबा रामदेव का मंदिर है। यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से दशमी तक मेला भरता है। बाबा रामदेव का भव्य मंदिर, मसूरिया पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पत्थर से कृत्रिम सिढियां बनी हुई है। इनसे मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस मंदिर में बाबा रामदेव जी के आध्यात्मिक गुरु गुसांई बालीनाथ की समाधी है। बाबा बालीनाथ ने अपना आखिरी समय इसी पहाड़ी पर गुजारा था। इसी पहाड़ी पर उन्होंने तपस्या की थी। बाबा रामदेव कि समाधि और जोधपुर की स्थापना दोनों ही एक ही वर्ष सन 1459 ईस्वी में हुए। कहा जाता है कि राव जोधा (जोधपुर के संस्थापक) मेहरानगढ़ की स्थापना मसूरिया पहाड़ी पर करना चाहते थे, लेकिन बाबा बालीनाथ की सलाह पर उन्होंने अपना इरादा बदल इसकी स्थापना चिड़ियाटुगनाथ की पहाड़ी पर की।
बाबा बालीनाथ की समाधि के बाद यहां एक मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर में बाबा बालीनाथ के साथ ही उनके शिष्य और द्वारकाधीश अवतार बाबा रामदेव की भी मूर्ति की स्थापना की गई। इसी के कारण इसे बाबा रामदेव मंदिर मसूरिया कहा जाता है। इस मंदिर में जोधपुर के साथ दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि बाबा रामदेव मंदिर रामदेवरा (बाबा का दरबार) में हाजिरी लगाने से पूर्व मसूरिया में बाबा और उनके गुरु के दर्शन करने से मन्नत जल्द पूरी होती है।
मसूरिया पहाड़ी और बाबा के मंदिर का धार्मिक महत्व -
यह बाबा रामदेव के गुरु गुसांई बालीनाथ की तपोस्थली हैं। यहां उन्होंने बरसों तक तपस्या की और अंत में यहां ही समाधि ली। यहां बाबा रामदेव के साथ उनके गुरु का मंदिर है। इस मंदिर, समाधि और मसूरिया पहाड़ी के लिए जोधपुर और आसपास के लोगों के साथ ही बाबा रामदेव के भक्तों में मन में बड़ी श्रद्धा हैं। भाद्रपद में महीने में लाखो लोग प्रतिदिन बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। भाद्रपद में यहां विशाल मेला भी भरता है।
मसूरिया मंदिर के लिए मान्यता है कि रामदेवरा में बाबा के दर्शन करने से पूर्व मसूरिया में बाबा के दर्शन करने से मन्नत जल्द पूर्ण होती है। ऐसे में भाद्रपद महीने में प्रतिदिन लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में मंदिर कमेटी के साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क खाने से रहने ठहरने तक कि व्यवस्था की जाती है, यह सब व्यवस्था बाबा के प्रति सच्ची श्रद्धा और धार्मिक विश्वास के कारण है। यह विश्वास ही उन्हें त्याग और समर्पण का पाठ पढ़ाते हैं।
क्यों बनाया गया मसूरिया पहाड़ी पर मंदिर -
मसूरिया पहाड़ी पर एक अलौकिक गुफा हैं। इस गुफा में बाबा रामदेव के गुरु गुसांई बालीनाथ ने कई बरसों तक तपस्या की। इसके बाद उन्होंने यहां पर समाधि ले ली। उनकी समाधि के कारण इस पहाड़ी का महत्व बढ़ गया। उनकी समाधि के बाद कालांतर में यहां पहाड़ी पर बाबा रामदेव का मंदिर बनाया गया। इस मंदिर में बाबा रामदेव के साथ उनके गुरु की भी मूर्ति है।
कहा जाता है 'गुरु बिन घोर अंधेरा....' इस कहावत को सही शब्दों में चरितार्थ करता हैं, मसूरिया का बाबा रामदेव का मंदिर। मान्यता के अनुसार बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर बने रामदेवरा मंदिर के दर्शन करने के पूर्व उनके गुरु की समाधि के दर्शन करने से मन्नत पूरी होती है। मान्यता से गुरू की महिमा को सिद्ध करता हुआ यह मंदिर अपने आप में अनोखा होने के साथ दुर्गम पहाड़ी पर स्थित है।
मंदिर के पास ही गुफा है, कई लोग गुफा के दर्शन के लिए भी जाते हैं। गुफा का रास्ता दुर्गम होने के कारण इसे मेले के समय बंद भी कर दिया जाता है। लेकिन आपको इस बात पर भी ध्यान देना आवश्यक है कि नव रामदेवरा में बाबा के दर्शन करने के पूर्व आपको मसूरिया मंदिर में दर्शन कर मन्नत मांगनी चाहिए ना कि...
Read moreJai baba ri जोधपुर. पश्चिम राजस्थान में विक्रम संवत 1515 में जब जन-जन के आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेव ने रामदेवरा में समाधि ली ठीक उसी वर्ष ज्येष्ठ सुदी ग्यारस (सन 1459) जोधपुर में मेहरानगढ़ का प्रादुर्भाव हुआ। यह भी विचित्र संयोग है की जोधपुर का मेहरानगढ़ पहले लोकदेवता रामदेव के गुरु बालीनाथ की तपोस्थली मसूरिया पहाड़ी पर बनाया जाना था लेकिन निर्माण में लगातार बाधाओं और गुरु बालीनाथ के दृष्टांत और राव जोधा को सलाह के बाद मसूरिया पहाड़ी पर दुर्ग निर्माण की योजना स्थगित कर पचेटिया पहाड़ी पर किले का निर्माण करवाया जो आज भी पाली रोड छोर से मसूरिया पहाड़ी मेहरानगढ़ जैसी ही नजर आती है।
मसूरिया पहाड़ी पर ही बनता दुर्ग इतिहासविद डॉ. महेन्द्र सिंह तंवर बताते हैं कि जोधपुर नगर के संस्थापक राव जोधाजी ने मसूरिया पहाड़ी पर 562 साल पहले दुर्ग निर्माण की योजना बनाकर कार्य प्रारंभ करा दिया था। परन्तु आसपास जल और संसाधनों की कमी के कारण निर्माण कार्य में बार-बार बाधा आने पर पहाड़ी पर रहने वाले तपस्वी बाबा बालीनाथ ने राव जोधाजी को पचेटिया पहाड़ी पर किला निर्माण की सलाह दी। जोधाजी ने पचेटिया हिल पर दुर्ग निर्माण करवाया जो आज मेहरानगढ़ के नाम से विश्वविख्यात है। वर्ष विक्रम संवत 1515 में ही रामदेव बाबा समाधिस्थ हुए और मेहरानगढ़ बना था।. This is the temple of BABA RAMDEV And is the tomb of his Guru Balinath. The name of this hill is masuriya bhakri because of this temple Named masuriya temple
Lord Shri Baba Ramdev Ji came and scared the bheruda demon in the cave of this hill.
And the carving of this temple is also very good, which enhances the decoration of this temple.
And there is a very big entrance for entering this temple, through which one can see Lord Ramdev.This temple is situated on the Masuriya hill.🗻🎠🚩 The cave of Baba guru Balinath ji is near this temple.🕉
This fair is organized twice in the Bhadrapad month of Indian calendar.✌
Baba Ramdevji fulfills the desires of all the devotees who come here.🎠🎊
Not only Rajasthan, Madhya Pradesh, Gujarat and other parts of the country also come in large numbers to visit here.👍
An extremely spiritual experience for me.🙌 Jai baba ri sa 🙌🚩Most beautiful temple of BABA RAMDEV JI MAHARAJ, this temple is situated on the masuriya Hills. and the structure of this temple is so beautiful and magnificent, if you want to see the beauty and the if you want to see the jodhpur city from the hill sound then you must visit this , and yes one more thing Whereever you go to this temple, then must see the gufa, it's so nice, If you want to see full video vlog of this temple then you can visit Philosophical world YouTube channel and select Jodhpur tourist attractions playlist to see the full details vlog of this temple.Temple carved on a mountain with beautiful jodhpuri stone temple art on it.The huge view from out side the temple is great indeed.It is temple of BABA RAMDEV and there is a cave called BALAKNATH ji ki gufa upon temple. We can see half of jodhpur from upside here. I have been there two or three times. Every bhadrapad beej in hindu calander a huge crowd gathers here as it is celebrated as MELA and BHAJAN SANDHYA AARTI etc. You have to visit...
Read moreMasuriya temple is a sacred and serene place where people come to worship, seek blessings, and find inner peace. It is often beautifully designed, showcasing intricate architecture, carvings, and artwork that reflect the culture and spirituality of the community it serves. Visiting a temple evokes a calm and peaceful atmosphere, enhanced by the sounds of bells, the smell of incense, and the sight of glowing lamps.
Temples hold great historical and cultural significance, often standing as landmarks that tell stories of ancient traditions and beliefs. The rituals, festivals, and prayers carried out in temples foster a sense of community and devotion, creating a spiritual hub for people of all ages. Moreover, temples teach values such as kindness, compassion, and reverence, inspiring visitors to lead better lives. Overall, a visit to a temple is not only a religious experience but also a journey into culture, history, and...
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