Nagchandreshwar Ujjain is a unique manifestation of Hindu God Shiva and this rare murti of Shiva is located on the third storey of the Mahakaleshwar Temple in Ujjain in Madhya Pradesh. This rare murti of Shiva as Nagchandreshvar is open to darshan only on the Nagpanchami day in Shravan month. Nagchandreshwar darshan happens in a year only on the fifth day of the Shukla Paksha of Shravan month. In this form Hindu God Shiva is more associated with the Nagas (Snakes) and Chandra (Moon). Thousands of devotees arrive on the day at Mahakaleshwar Temple to have darshan of Shiva as Nagchandreshwar.
The idol of Nagchandreshwar on the third storey is open for darshan only on the day of Nag Panchami. The temple has five levels, one of which is underground. The temple itself is located in a spacious courtyard surrounded by massive walls near a lake. The shikhar or the spire is adorned with sculptural finery. Brass lamps light the way to the underground sanctum. It is believed that prasada (holy offering) offered here to the deity can be re-offered unlike all...
Read more📍 स्थान और परिचय
Nagchandreshwar Mandir, Ujjain के प्रतिष्ठित Mahakaleshwar Jyotirlinga मंदिर के तीसरे तल पर स्थित एक अद्वितीय पवित्र स्थल है। यह मंदिर श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी, यानि नागपंचमी के दिन केवल 24 घंटों के लिए खुलता है । भक्तों की असीम श्रद्धा और गहरी आस्था इसे और भी विशेष बनाती है।
📜 इतिहास एवं पौराणिक महत्त्व
यह मंदिर लगभग 1050 ईस्वी में मालवा के परमार राजा भोज द्वारा निर्मित था, और 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया द्वारा जीर्णोद्धार किया गया ।
प्राचीन मान्यता है कि नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु तपस्या की थी। शिवजी ने तक्षक को अमरत्व प्रदान किया, और तक्षक ने शिव के निकट रहना व इच्छित दर्शन के लिए केवल एक दिन मंदिर खोले जाने का निर्णय लिया ।
🕉️ मूर्ति और दिव्य विशेषताएँ
मंदिर में स्थित प्रतिमा 11वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्ति है, जिसे कथित तौर पर नेपाल से लाई गया था ।
इस मूर्ति में शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, सूर्य, चंद्रमा, सात‑मुखी नाग और शिव एवं पार्वती के वाहन—नंदी और सिंह—भी हैं। भोलेनाथ नाग शैया पर विराजमान हैं, जो संभवतः दुनिया में अद्वितीय है ।
🔔 दर्शन अनुभव—नागपंचमी के दौरान
प्रवेश: मंदिर रात 12 बजे खोलकर अगले 24 घंटों के अंदर भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है ।
भक्तों की भीड़ इतनी होती है कि कतारें कई किलोमीटर लंबी हो जाती हैं—इस बार लगभग 4 लाख भक्तों ने दूध चढ़ाया और 2 किलोमीटर लाइन लगी हुई थी ।
प्रशासन द्वारा दर्शन को सुव्यवस्थित रखने के लिए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम और विशेष लॉगा‑इन व पैदल मार्ग बनाए जाते हैं ।
माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से कालसर्प दोष जैसे वास्तु या ज्योतिष संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है ।
✅ समीक्षा सारांश
पहलू विवरण
🌐 स्थान Ujjain, Mahakaleshwar complex की तीसरी मंजिल ⏳ खुलने का समय केवल नागपंचमी पर, 24 घंटे 🛕 भौतिक सौंदर्य अद्वितीय मूर्ति, सात‑मुखी नाग शैया, देवता व वाहन 📅 इतिहास 1050 ईस्वी निर्माण, पुनर्निर्माण: 1732 👥 भक्तों की संख्या लाखों, विशाल मनोकामना कण्टक 🛡️ व्यवस्था सुरक्षा, रूट मैनेजमेंट, व्यवस्थापना चुस्त
🧡 व्यक्तिगत अनुभव
“साल में एक ही दिन खुलता है, लेकिन वो दर्शन सब दिनों की थकावट मिटा देते हैं। मूर्ति की शोभा और उर्जा अपूरणीय है।”
“लंबी कतारें थीं, पर व्यवस्थाओं ने दर्शन सहज बना दिया – प्रशासन का प्रयास काबिले तारीफ़।”
🚗 यात्रा टिप्स
नागपंचमी से पहले ही टिकट/प्रवेश व्यवस्था की जानकारी हासिल करें—कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विवरण उपलब्ध है, हालाँकि अधिकतर वर्ष एक विशेष आयोजन के तहत सरकारी व्यवस्था के माध्यम से संचालित होता है ।
दर्शन के लिए स्थानीय रूप से बने footbridge और सुनिश्चित मार्ग का अनुसरण करें, जिससे भीड़ नियंत्रण में रहती है ।
दर्शन के समय विशेष पूजा (त्रिकाल पूजा) और दान जैसे दूध चढ़ाना, फूल आदि की व्यवस्था रहती है।
🧠 निष्कर्ष
Nagchandreshwar Mandir, उज्जैन का वह स्थान है, जहाँ एक दिन में हजारों लोगों की आस्था एक साथ मिलती है, और वह दिन नगपंचमी के क्षणों में बदल जाता है। इस मंदिर के दर्शन केवल श्रावण मास की पंचमी पर ही संभव हैं—जो बनाता है इसे एक अमूल्य आध्यात्मिक खजाना। कालसर्प दोष से मुक्ति, दुर्लभ मूर्ति का दर्शन, और अनूठा धार्मिक अनुभव—सब कुछ एक साथ...
Read moreॐ नमोऽस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः॥नागचंद्रेश्वर मंदिर,उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत -उज्जैनउज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है। इसकी पहचान सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह साल में केवल एक बार नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खुलता है, बल्कि इसके इतिहास और उससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के कारण भी है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: निर्माण काल: माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी के आसपास परमार राजा भोज ने करवाया था। यह उस समय की स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। जीर्णोद्धार: बाद में, 1732 में सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर के साथ-साथ इस नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया था। प्रतिमा की स्थापना: मंदिर में स्थापित नागचंद्रेश्वर की अद्भुत प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह प्रतिमा नेपाल से उज्जैन लाई गई थी। यह प्रतिमा इसलिए अद्वितीय है क्योंकि इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और माता पार्वती विराजमान हैं। दुनिया में ऐसी प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है, जहाँ भगवान शिव नाग शैया पर विराजमान हों। इस प्रतिमा में शिव परिवार के अन्य सदस्य जैसे गणेश, कार्तिकेय और उनके वाहन नंदी और सिंह भी दिखाई देते हैं। भगवान शिव के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए हैं। पौराणिक मान्यताएँ और कथाएँ: नागचंद्रेश्वर मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएँ और कथाएँ इसे और भी विशेष बनाती हैं: नागराज तक्षक का निवास: सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में निवास करते हैं और भगवान शिव की तपस्या करते हैं। इसी कारण से यह मंदिर साल भर बंद रहता है और केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है, जब तक्षक नाग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। सर्प दोष से मुक्ति: यह माना जाता है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के सर्प दोष (जैसे कालसर्प दोष) से मुक्ति मिल जाती है। लाखों श्रद्धालु नागपंचमी के दिन यहाँ दर्शन करने आते हैं ताकि वे इस दोष से छुटकारा पा सकें। अमरत्व का वरदान: एक पौराणिक कथा के अनुसार, नागराज तक्षक ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और उन्हें महाकाल वन (उज्जैन) में निवास करने की अनुमति दी। तभी से नागराज तक्षक भगवान शिव के साथ इस स्थान पर निवास करते हैं। दुर्लभ प्रतिमा: इस मंदिर की प्रतिमा अपने आप में एक चमत्कार है, क्योंकि आमतौर पर शेषनाग पर भगवान विष्णु को विराजमान दिखाया जाता है, लेकिन यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती नाग शैया पर विराजमान हैं। यह इसे और भी महत्वपूर्ण और अद्वितीय बनाता है। इन ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के कारण ही उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, जो साल भर इस एक दिन के दर्शन के लिए...
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