A Temple built by the Mughal Governor of Amritsar This is one of my favourite temples in Vrindavan: Jugal Kishor. I just love the simple yet beautiful carving above the doorway of Krishna lifting up Mount Govardhan, flanked by peacocks and cows It's built on Keshi Ghat, the place where Lord Krishna is said to have killed the horse-shaped Keshi demon According to AW Entwhistle's book on Braj, the temple was built c. 1627 by Naunkaran, a Kacchwaha General from Shekhawati who served with Akbars forces and governed the area around Amritsar. Under Akbar, Man Singh of Amer (Jaipur) had been the undisputed leader of the Kacchwaha clan and the most prominent Rajput nobleman in the Mughal Court. But after Akbar's death, there was a succesion crisis. Man Singh backed Prince Khusrao to succeed the Emperor, whilst Naunkaran and his brother Raiysal Darbari backed Prince Jahangir. Jahangir came out on top, and so the two brothers found themselves elevated to a prestige that had never before been possible. To assert that their authority was now independent of Man Singh, the brothers then constructed two new temples in Vrindavan: Gopinath and Jugal Kishor. The murti was taken and moved to Panna in Madhya Pradesh to save it from desecration during the reign of Aurangzeb. Several decades later, in 1758, Raja Hindupat Singh Bundela built a new temple for the deity The old temple is locked by the ASI today. For more see A.W. ENTWHISTLE:...
Read moreसाल में दो बार बदलता है मंदिर के खुलने और बंद होने का समय होली तीज से औपचारिक रूप से गर्मी की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी कारण से होली तीज के बाद नगर के मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में परिवर्तन हो जाता है। होली तीज से भगवन जुगल किशोर मंदिर में भगवान की की मंगल आरती के दर्शन ५ बजे से ५.१० तक , तरह से सुबह कनक कटोरा की आरती के दर्शन सुबह ७ बजे से ७.१० बजे तक होते हैं। दोपहर में १२ बजे की आरती और दोपहर १२ से २.३० बजे तक दर्शन का का समय पूरे पूरे साल एक समान ही रहता है। शाम को 7.30 बजे आरती और रात्रि दर्शन १० बजे तक होंगे। रात 10.30 बजे भगवान की व्यारी और शयन आरती होगी। जबकि ठंड के दिनो में मंगल आरती 5.30 से होती है। कनक कटोरा के दर्शन भी ८ बजे होते हैं। इसी तरह से शाम को आरती7.00 बजे और रात्रि दर्शन का समय 10.00बजे होते हैं।
यहंा भगवान के चमत्कार की कई कहानियां
१. जब भगवान बच्चों के साथ खेले गिल्ली डंडा भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि यू तो भगवान युगल किशोर के साक्षात दर्शन देने के प्रमाण नहीं हैं लेकिन यहां ऐसा कोई नहीं जिसने उनके चमत्कारों के बारे में नहीं सुना हो। ये बताते हैं कि मंदिर के पीछे एक बार बच्चे लोग गिल्ली डंडा खेल रहे थे। उनके से कुर्ता पहने हुए एक बच्चे ने उन बच्चों को खूब पदाया था। जब उसके पदने का समय आया तो मंदिर के खुलने का समय हो चुका था। मंदिर खुलने की आहट होते ही वह बच्चा दाम देना छोड़कर भागने लगा। इसपर उसे साथ खेल रहे मोहल्ले के दूसरे बच्चों ने उसको पकडऩे का प्रयास किया तो बच्चे के कुर्ते का एक हिस्सा बच्चों के हाथ में आ गया। गांव के बच्चे पुजारी के पास पहुंचे और कहने लगे कि एक लड़का उनका दाम देने के समय भागकर मंदिर के अंदर घुस गया है। पुजारी ने उन्हें समझाया कि अभी तो मंदिर के सभी दरवाजे बंद हैं। जब मंदिर ही नहीं खुला तो कोई बच्चा अंदर कैसे जा सकता है, बच्चे थे कि पुजारी की बात को मानने के लिये तैयार ही नहीं थे। बच्चों ने उसे बच्चे के कुर्ते का तुकड़ा भी पुजारी को दिखाया। बच्चों की जिद पर जब पुजारी कुर्ते का तुकड़ा लेकर मंदिर के अंदर बच्चे को तलाश रहे थे तभी उन्होंने देखा कि भगवान जुगल किशोर के कुर्ते का एक हिस्सा भी फटा हुआ है। उन्होंने जब कुर्ते के तुकड़े के भगवान के कुर्ते से मिलाया तो वे आश्चर्य चकित रह गए कि बच्चों के हाथ में मिला कपड़े का तुकड़ा दरअसल भगवान के कुर्ते का ही हिस्सा था। अब उन्होंने अनुमान लगाया कि भगवान ने ही बाल रूप में बच्चों के साथ खेला होगा। कुछ ही समय बाद मंदिर में हुए इस चमत्कार की चर्चा मंदिर से होते हुए शहर और फिश्र पूरे क्षेत्र में फैल गई।
२. और जब भगवान ने हि मतदास को दिए व्यारी के दर्शन पुजारी अवध बिहारी ने बताया कि बराछ निवासी हि मतदास भगवान के अनन्य भक्त थे। वे भगवान की व्यारी आरती के नियमित दर्शन किया करते थे। एकबार की बात है कि बारिश के समय तेज बारिश होने के कारण वे बीच में कहीं रुक गए गए थे। इससे जब वे मंदिर पहुंचे तो भगवान की व्यारी आरती हो चुकी थी और मंदिर के पट बंद हो गए थे। इससे भक्त हि मतदास बहुत दुखी हुए और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की। वे उदास हो चुके थे और मंदिर के गेट में बैठे हुए थे तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और बादलों की तेज गडग़ड़ाहट के साथ बिजली की तेज चमक के साथ अचानक मंदिर के बंद पट खुल गए और भक्त हि मतदार को भगवान जुगल किशोर के दर्शन हुए। श्रद्धालुओं की जुबान पर भगवान जुगल किशोर के चमत्कार की दर्जनों कई कहानियां सुनी जा सकती हैं। भगवान का यह मंदिर बड़ा ही चमत्कारी है। कहते हैं यहां साक्षात भगवान विराजते हैं। यहां लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
सालभर यह रहते हैं मंदिर के आकर्षण -. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव: भगवान जुगल किशोर मंदिर में सालभर में अयोजित होने वाला सबसे बड़ा पर्व है। निभाई जाने वाले वृंदावन की परंपरएं लोगों को आकर्षित करती हैं
देवारी नृत्य: दीपावली उत्सव पर देवारी नृत्य। यहां मनोकामना पूरी होने पर बुंदेलखंड सहित बघेलखंड और माहकौशल क्षेत्र के यदुवंशी देवारी नृत्य करने के लिये पहुंचते हैं। इन्हें देखने के लिये भी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
सखी भेष की झांकी: यहां साल में सजने वाली भगवान की झांकियों में से सबसे प्रसिद्ध झांकी है। होली पर्व की तीज पर यहां भगवान के सखी भेष की झांकी सजती है। भगवान राधा के वेश में क्विंटलों गुलाल की होली खेलते हैं।
नृसिंह अवतार : में भगवान ने हिरणाकस्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। वह वामन अवतार भगवान ने राजा बलि को इंद्रासन तक पहुंचने से रोकने के लिए लिया था। भगवन के दोनों अवतारों की झांकिया भी आकर्षण का केंद्र होती हैं।
-राधा अष्टमी: राधा अष्टमी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में...
Read moreThe story behind the temple is millennia old, but the temple itself is new, at least in relative terms. Built in 1627, the Jugal Kishore Temple is currently one of the oldest surviving temples in Vrindavan. The Mughal Emperor Akbar visited Vrindavan sometime in 1570 CE, giving permission to build four temples. The Jugal Kishore Temple was one of the approved temples constructed by the Gaudiya Vaishnavas. Located by the famed Keshi Ghat at the lower end of Vrindavan, the temple was eventually built by Sambat. It was completed in 1684, during the reign of the next Mughal Emperor, Jehangir. Like the other three ancient temples ordered by Akbar, this one too is made of red sandstone, with a rather large 25 square foot choir and a main entrance to the east. Unlike the other three temples, though, the Jugal Kishore Temple still has its original deity...
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