Excellent temple. Arulmigu Meenakshi Amman Temple,3] also known as Meenakshi Sundareshwarar Temple, is a historic Hindu temple located on the southern bank of the Vaigai River[4] in the temple city[5] of Madurai, Tamil Nadu, India. It is dedicated to the goddess Meenakshi, a form of Parvati, and her consort, Sundareshwarar, a form of Shiva.[6 The temple is at the center of the ancient temple city of Madurai mentioned in the Tamil Sangam literature, with the goddess temple mentioned in 6th-century-CE texts.8] This temple is one of the Paadal Petra Sthalam. The Paadal Petra sthalam are 275 temples of lord Shiva that are revered in the verses of Tamil Saiva Nayanars of 6th-9th century CE.हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।
।। कांची तु कामाक्षी,
मदुरै मिनाक्षी,
दक्षिणे कन्याकुमारी ममः
शक्ति रूपेण भगवती,
नमो नमः नमो नमः।।
अन्य स्थानों में कांचीपुरम का कामाक्षी मन्दिर,तिरुवनैकवल का अकिलन्देश्वरी मन्दिर एवं वाराणसी का विशालाक्षी मन्दिर प्रमुख हैं।
इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।[24 इस इमारत समूह में 12 भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं। इन पर बडी़ महीनता एवं कुशलतापूर्वक रंग एवं चित्रकारी की गई है, जो देखते ही बनती है। यह मन्दिर तमिल लोगों का एक अति महत्वपूर्ण द्योतक है, एवं इसका वर्णन तमिल साहित्य में पुरातन काल से ही होता रहा है। हालांकि वर्तमान निर्माण आरम्भिक सत्रहवीं शताब्दी का बताया जाता है।हिन्दू आलेखों के अनुसार, भगवान शिव पृथ्वी पर [सुन्दरेश्वरर] रूप में स्वयं देवी पार्वती पृथ्वी पर [मिनाक्षी] से विवाह रचाने अवतरित हुए। देवी पार्वती ने पूर्व में पाँड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था।[6] वयस्क होने पर उसने नगर का शासन संभाला। तब भगवान आये और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस विवाह को विश्व की सबसे बडी़ घटना माना गया, जिसमें लगभग पूरी पृथ्वी के लोग मदुरई में एकत्र हुए थे। भगवान विष्णु स्वयं, अपने निवास बैकुण्ठ से इस विवाह का संचालन करने आये। ईश्वरीय लीला अनुसार इन्द्र के कारण उनको रास्ते में विलम्ब हो गया। इस बीच विवाह कार्य स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा संचालित किया गया। बाद में क्रोधित भगवान विष्णु आये और उन्होंने मदुरई शहर में कदापि ना आने की प्रतिज्ञा की। और वे नगर की सीम से लगे एक सुन्दर पर्वत अलगार कोइल में बस गये। बाद में उन्हें अन्य देवताओं द्वारा मनाया गया, एवं उन्होंने मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरर का पाणिग्रहण कराया।
यह विवाह एवं भगवान विष्णु को शांत कर मनाना, दोनों को ही मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जिसे चितिरई तिरुविझा या अझकर तिरुविझा, यानि सुन्दर ईश्वर का त्यौहार ।[7]
इस दिव्य युगल द्वारा नगर पर बहुत समय तक शासन किया गया। यह वर्णित नहीं है, कि उस स्थान का उनके जाने के बाद्, क्या हुआ? यह भी मना जाता है, कि इन्द्र को भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग रूप में मिली और उन्होंने मूल मन्दिर बनवाया। इस प्रथा को आज भी मन्दिर में पालन किया जाता है ― त्यौहार की शोभायात्रा में इन्द्र के वाहन को भी स्थान मिलता है।आधुनिक इतिहास संपादित करें आधुनिक ढांचे का इतिहास सही सही अभी ज्ञात नहीं है, किन्तु तमिल साहित्य के अनुसार, कुछ शताब्दियों पहले का बताया जाता है। तिरुज्ञानसंबन्दर, प्रसिद्ध हिन्दू शैव मतावलम्बी संत ने इस मन्दिर को आरम्भिक सातवीं शती का बताया है औरिन भगवान को आलवइ इरैवान कह है।[8] इस मन्दिर में मुस्लिम शासक मलिक कफूर ने 1310 में खूब लूटपाट की थी।[8] और इसके प्राचीन घटकों को नष्ट कर दिया। फिर इसके पुनर्निर्माण का उत्तरदायित्व आर्य नाथ मुदलियार (1559-1600 A.D.), मदुरई के प्रथम नायक के प्रधानमन्त्री, ने उठाया। वे ही 'पोलिगर प्रणाली' के संस्थापक थे। फिर तिरुमलय नायक, लगभग 1623 से 1659 का सर्वाधिक मूल्यवान योगदान हुआ। उन्होंने मन्दिर के वसंत मण्डप के निर्माण में उल्लेखनीय...
Read moreThe largest mandabham in the holy Meenakshi Amman temple. This Mandapam is situated near veeravasantharayar mandapam to the north. This was built by visvanatha naikar in 1569. This Mandapam consist of 985 pillers. This pillers where arranged in such away that from where angle we look it looks in rows and rows. At the center of the Mandapam there is a statue of lord natrajar. The pillers at the beginning and the end of the row are big ones with smaller circular blocks and one at the bottom could be rolled. These pillers are called musical pillers and they create music when we tap on them.....this is interesting...and a very nice place ...every one should visit...
Read moreLocated inside the Meenkashi Amman Temple in the two and a half millenium old city of Madurai. The beauty of this construction is that standing at any point in this Mantapam, all the pillars appear to go away in a straight line from the point of viewing Each of the pillars is tall with life-like sculptures of mythical people The hall is large and very cool even in the blistering heat outside Nowadays photography isn't allowed inside this monument, but once upon a time, one could take pictures with a mobile camera... The entrance fee is a nominal ₹ 10 and the place...
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