Easy to find the place, parking lot available, though not visible from public place, wheel chair assessable, can buy prasad from the market on its way, items like kitchen households, footwear, toys, handbags, showpiece, eatables, etc, are also available at cheapest price. Crowdy place, not made for cars to enter the market, they need to be parked at far away places. Good for kids but they need to be taken care of as it too much crowdy. No medical shops available nearby. Cleanliness is average here, but one will definitely feel as if reached to any holy place. Have a happy...
Read moreThe Badi Kali Ji Temple is a prominent Hindu shrine located in various regions of India, dedicated to Goddess Kali, a symbol of strength and empowerment. This temple is known for its intricate architecture and vibrant rituals, drawing numerous devotees who seek blessings and protection. Celebrations during festivals like Navratri see large gatherings, where people offer prayers and participate in cultural events, reinforcing the temple's significance in the community. The atmosphere is filled with devotion and reverence, making it a spiritual...
Read moreपुराने लखनऊ के चौक क्षेत्र में स्थित श्री बड़ी काली जी मंदिर की महिमा लखनऊ के अलावा दूर -दूर तक विख्यात है। नित्य दर्शन -पूजन के लिए आने वाले स्थानीय श्रद्धालुओं के अतिरिक्त दूर दराज के श्रद्धालुओं की भीड़ भी प्रतिदिन दर्शन-पूजन व मुंडनआदि के लिए लगती है। नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें घर में उपयोग की हर प्रकार की वस्तुएं उचित मूल्य पर मिल जाती हैं नवरात्रों तथा हर अमावस्या को श्रद्धालुओं की आपार भीड़ रहती है।यह मंदिर परिसर एक मठ है जो कि बोधगया स्थित श्री शंकराचार्य मठ से सम्बंधित लगता है। कहते हैं कि इस देवालय की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व परम पूज्य श्री शंकराचार्य जी द्वारा किया गया था।बाद में विदेशी आक्रमणकारियों से श्री काली जी की प्रतिमा को सुरक्षित करने हेतु उस समय के पुजारी जी ने प्रतिमा को कुएं में डाल दिया। कालांतर में जब प्रतिमा कुएं से निकाली गई तो वहां पर श्री काली जी की प्रतिमा के स्थान पर श्री लक्ष्मी जी व नारायण जी की प्रतिमाएं निकलीं।वर्तमान समय में श्री लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिमा को ही श्री काली जी मान कर पूजा की जाती है। स्थापना के समय मंदिर पवित्र गोमती नदी के तट पर स्थित था कालांतर में गोमती नदी का फैलाव कम होता गया जिससे आज नदी और मन्दिर के बीच लगभग दो -ढाई किलोमीटर की दूरी हो गई है। मन्दिर में जाने के लिए दो द्वार हैं व दोनों से आया जाया जाता है।पहला रास्ता चौक मुख्य सड़क से तथा दूसरा रास्ता कोनेश्वर मंदिर से मुड़ कर नए बने फ्लाई ओवर से है जो मंदिर के पिछले द्वार पर जाता है।चौक मुख्य सड़क वाला रास्ता अपेक्षाकृत संकरा व काफी ढलान वाला है। जबकि पीछे वाले रास्ते पर फोर व्हीलर भी पहुंच जाते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही एक विशेष प्रकार की पाॅजिटीविटी का अहसास होता है। कहते हैं यहां पर नियमित दर्शन व पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। जय...
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